For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वंदना......हरिगीतिका

हे!  ज्ञान  दाती   दुःख  हरती   प्रेम  ममता   वारती।

यम नियम नियमन दिशा दर्शन गगन गुरूता धारती।।

तुम सर्व हो  तुम गर्व हो  तुम आदि  गंगा गामिनी।

रति सौम्य सागर सती आगर मोक्ष वरदं दायिनी।।1

रघुवीर पूजें  कृष्ण कूंजे  शक्ति दुर्गा  दामिनी।

अभिमान ऐसा क्लेष जैसा पाप शापं नाशिनी।।

अरि नष्ट करती मित्र बनती हाथ सिर पर फेरती।

सुख सार भरणी कष्ट हरणी तोष निश-दिन टेरती।।2

मैं मूर्ख जातं आत्म विमुखं शोक दारूण गम्यता।

तू  रक्ष माता  शरण दाता   दोष वाणी क्षम्यता।।

शिव शक्ति शानं रक्त पानं दुष्ट दलनं काल सी।

मन शांति निर्मल भूमि उर्मिल बाल रक्षक मात सी।।3

पर  प्रीति  प्रियसी  पर्व  प्रेरक   प्रेम पावन   दीप सी।

तन तीर तरूणी तीक्ष्ण तेवर तमस-तम तुम जीत सी।।

जब जयति जय जय जाप जपता जंग जीवन जीतता।

कर कर्म करूणा  क्रोध कल्मष  काल काटहि तीव्रता।।4

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 730

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 7:58pm

आ0 प्राची मैम जी,  सादर प्रणाम!  जी, कुछ जल्दीबाजी में चूक हो गयी! जी मैम, सही कर लूंगा।  आपके स्नेह, मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 7:50pm

आ0 आशीष नैथानी भांई जी,  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 7:49pm

आ0 बृजेश भांई जी,  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 7:44pm

आ0 अरून अनन्त भांई जी,  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 7:44pm

आ0 सुरेन्द्र भ्रमर जी,  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 7:41pm

आ0 अन्नपूर्णा जी,  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 7:40pm

आ0 विनीता जी,  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 24, 2013 at 2:13pm

बहुत खूबसूरत हरिगीतिका छंद लिखा है आ० केवल प्रसाद जी 

शक्ति स्वरूपा के चरणों में समर्पित इस वन्दना के लिए आपको हृदय तल से बहुत बहुत बधाई 

रति सौम्य सा/ गर सती आ/ गर मोक्ष वर/ दं दायिनी................... रेखांकित अंश में सती शब्द शिल्प के तौर पर सही नहीं है ... बारहवीं मात्रा लघु होनी चाहिये पर यहाँ दीर्घ हो रही है 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 24, 2013 at 11:57am

सुन्दर वंदना.... बधाई भाई केवल प्रसाद जी !!!

Comment by बृजेश नीरज on August 24, 2013 at 11:47am

आदरणीय केवल भाई, वाह! बहुत ही सुन्दर वंदना! वृत्यानुप्रास का सयास प्रयोग बहुत रूचिकर लगा।

इस रचना पर आपको हार्दिक बधाई!

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service