For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बोलो नेहा ! इतनी उदास क्यों हो ?

पर सूनी आँखों में कोई ज़वाब न देख, अपने हक के लिए कभी एक शब्द भी न कह पाने वाली दिव्या,  अचानक हाथ में प्रोस्पेक्टस के ऊपर एडमीशन फॉर्म के कटे-फटे टुकड़े लिए, बिना किसी से इजाज़त मांगे और दरवाजा खटखटाए बगैर, सीधे ऑफिस में घुसी और डीन की आँखों में आँखे डाल गरजते हुए बोली “देखिये और बताइये– क्या है ये? आपकी शोधार्थी नें एडमीशन फॉर्म के इतने टुकड़े क्यों कर डाले? दो साल से सिनॉप्सिस तक प्रेसेंट नहीं हुई, क्यों ? इतना कम्युनिकेशन गैप? आखिर समय क्यों नहीं देते आप अपने शोधार्थियों के कार्य को? एक ज़िंदगी के खत्म हो जाने के ज़िम्मेदार बनेंगे क्या आप ?”

और डीन की जुबान से बस इतना ही निकला “आप हमारी छात्रा नहीं हैं, अब इस बारे में हम आपसे क्या बात करें...”

रासलीलाओं पर तत्कालीन विराम के साथ ही महाशय होश में आ चुके थे और अगली सुबह नेहा के लिए एक नया सवेरा थी.

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 882

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 1, 2013 at 9:11pm

आदरणीया वसुंधरा पाण्डेय जी 

लघुकथा का कथ्य आपको मर्मस्पर्शी लगा व आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मिली

आपका सादर धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 1, 2013 at 9:06pm

हार्दिक धन्यवाद आ० मंजरी पाण्डेय जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 1, 2013 at 9:05pm

लघुकथा का सन्देश पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 1, 2013 at 9:05pm

आदरणीय विजय निकोर जी 

लघु कथा पर आपकी सराहना के लिए सादर धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 1, 2013 at 9:03pm

प्रिय अनुज अरुण शर्मा जी 

लघुकथा की सराहना और बधाई सम्प्रेषण के लिए हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 1, 2013 at 9:02pm

लघुकथा की सराहना कर उत्साहवर्धन करने केलिए सादर धन्यवाद आ० बृजेश जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 1, 2013 at 9:01pm

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी 

बिल्कुल सही कहा आपने जुर्म के खिलाफ आवाज़ उठानी ही पढ़ती है 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 1, 2013 at 9:00pm

लघुकथा पर आपके अनुमोदन के लिए धन्यवाद आ० श्याम जुनेजा जी 

Comment by Vasundhara pandey on August 27, 2013 at 6:50am

आदरणीय प्राची जी...गजब...दिल को छू गयी लघु कथा ..

इस कहानी को तो मुझे अपने भाई को पढ़ाना पडेगा ...!

Comment by mrs manjari pandey on August 25, 2013 at 2:49pm

        आपने सच का आइना दिखाया है.  बधाई डाक्टर प्राची जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
12 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service