For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धरती भी काँप गयी

----------------------

उड़ान भरती चिड़िया

जलती दुनिया

आंच लग ही गयी

---------------------

दाढ़ी बाल बढ़ाये

साधू कहलाये

चोरी पकड़ा ही गयी

-------------------------

इतना बड़ा मेला

पंछी अकेला

डाल भी टूट गयी

----------------------

खंडहर भी चीख उठा

रक्त-बीज बाज बना

धरती भी काँप गयी

------------------------

कानून सोया था

सपने में रोया था

देवी जी भांप गयीं

-----------------------

जल्लाद जाग उठा

गीता को बांच रहा

सुई आज थम गयी

------------------------

'एक' माँ रोई थी

'एक ' आज रोएगी

अपना ही खोएगी

------------------------

"मौलिक व अप्रकाशित"

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'५

१ २ . १ ५  पूर्वाह्न -1 २ . ३ ४ पूर्वाह्न

कुल्लू हिमाचल

२ ५ .० ८ - १ ३

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 28, 2013 at 7:40pm

सुन्दर और सामयिक रचना के माध्यम से गंभीर पीड़ा व्यक्त करती रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री सुरेन्द्र भ्रमर जी |

Comment by विजय मिश्र on August 28, 2013 at 11:20am
परिप्रेक्ष्य पीड़ादायी ,विषय व्यापक ,असहनीय और निंदनीय स्थितियाँ ,संदर्भों पर समुचित प्रहार , छंदाबद्ध यथार्थपरक सुगम रचना .साधुवाद सुरेंद्रजी .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 28, 2013 at 11:05am

बहुत खूब! बेहद सुंदर रचना, हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र जी

Comment by annapurna bajpai on August 27, 2013 at 10:53pm

वाह !!!!!!!!! अति सुंदर आ० भ्रमर जी , बधाई आपको । 

Comment by बृजेश नीरज on August 27, 2013 at 5:13pm

बहुत खूब! अति सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 3:42pm

वर्तमान परिस्थिति का बेहद सुन्दरता से वर्णन किया है आपने, अंतिम बंद ने दिल जीत लिया आदरणीय बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 27, 2013 at 1:18pm

सुन्दर रचना !! भाई सुरेन्द्र !! बधाई !!

Comment by Shyam Narain Verma on August 27, 2013 at 11:08am
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service