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कृष्ण का जीवन दर्शन बहुत गहरा और अद्भुत है , और समझने जैसा है । कृष्ण माखन चोरी करते हैं ,
रास रचाते हैं , राजनीति भी करते हैं , प्रतिज्ञा भी तोड़ते हैं , फिर भी हमने उन्हें भगवान् कहा है पूर्णावतार
कहा है उन्होंने जो भी किया हमने उसे लीला कहा है और बिलकुल जब कोई इतना प्रेमपूर्ण व्यक्ति कुछ भी करता
है तो वो लीला हो ही जाता है ।
कृष्ण का जन्म भी बड़े अद्भुत ढंग से हुआ इसे भी समझ लेना चाहिए कृष्ण का जन्म साधारण गर्भ
से नही हो पाता , और वासुदेव देवकी द्वारा भूमि तैयार की गयी उसकी उन्हों ने पूरी कीमत चुकाई उसकी , उन्हें तपना
पड़ा है और ज़रा सोचिये क्या बीती होगी उस माँ पर जिसने अपनी आँखों के आगे अपने छह बच्चों को मरते देखा होगा ,
कितनी सहनशक्ति आ गयी होगी उसमे , माँ अपने बच्चे के लिए कुछ भी सहने को तैयार हो जाती है , जाने किस सहन शक्ति
से उसने अपने बच्चो को मरते देखा होगा , और जब ये क्षुद्र ममताएं तार तार हुयीं होंगी तब जन्म लिया होगा किसी विराट ममता ने ,अपने दामन में अगर सागर भरना हो तो अपना दामन भी बड़ा करना पड़ता है और अगर हम ज़रा भी महसूस कर पायें वसुदेव देवकी की उस स्थिति को तो शायद आज हम में भी कोई कृष्ण जन्म ले सके । जब वासुदेव देवकी के बीच सालों
तक कोई दूसरा इंसान ना था जब वो भूल ही चुके थे सारी दुनिया को बच्चे होते गए पर उनके बीच कोई न रहे वो हर बार अकेले होते होते गए , जब दोनों के बीच में प्रेम के सिवा कुछ न बचा या कह लीजिये प्रेम ही बचा दोनों नही बचे तब जन्म हुआ उसका
जो इस दुनिया में प्रेम का प्रतीक बन गया , प्रेम को जन्म देना हो तो किसी को ऐसे ही तपना पड़े , कृष्ण प्रसाद हैं वसुदेव और
देवकी के तप का , आइये आज कृष्ण जन्म दिवस पर अपने रोम रोम को कृष्ण मय करते हैं , और ऐसी प्राथना करता हूँ
आप सबके जीवन का हर दिन कृष्ण जन्म दिन बन जाए और हर क्षण आप के जीवन में प्रेम का प्राकट्य हो ।।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

Views: 445

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Comment by बृजेश नीरज on August 29, 2013 at 7:35pm

राम और कृष्ण ये दो ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनका विश्लेषण इतना सरल नहीं। इन्हें समझने के लिए बहुत तप, अध्ययन और मनन की आवश्यकता है।
कृष्ण कर्मयोगी हैं। उनके जीवन को लीला क्यों कहा गया? इस पर आपने प्रकाश नहीं डाला। कान्हा प्रेम के ही प्रतीक नहीं हैं जैसा आज के वैलेन्टाइन फैशन ने उन्हें बना दिया है। वे उससे भी ऊपर बहुत कुछ हैं और जो कुछ भी हैं विलक्षण हैं। वे कर्मयोगी हैं। उनके जीवन दर्शन में कर्म की प्रधानता है।
बहरहाल, आपने विचार यहां प्रकट किए इसके लिए आपको हार्दिक बधाई!
सादर!

Comment by Neeraj Nishchal on August 28, 2013 at 9:53pm

आपको भी जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
आदरणीय जीतेन्द्र भाई ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 28, 2013 at 9:31pm

बहुत सुंदर चित्रण, नीरज भाई जन्माष्टमी की शुभकामनायें

Comment by Neeraj Nishchal on August 28, 2013 at 7:03pm

आदरणीय गिरिराज भाई आपको भी जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभ कामनाएं ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 28, 2013 at 5:50pm

नीरज भाई , लाजवाब विश्लेषण !!श्री कृष्ण जन्म दिवस की अपको भी बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

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