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"शब्दों का खेल "

वादों  की बौछार के साथ 
नेता जी प्रगट हुए 
बिन बुलाये प्रेत की तरह 
मटरू को नौकरी 
गाँव में पक्की सड़क 
विद्यालय ,चिकित्सालय 
आदि आदि का निर्माण 
शब्दों के महाजाल  से
समस्याओं के सागर का 
पूरा का पूरा पानी 
झट से पी  गए
गटाक एक बार में    
लोग बड़े ध्यान से सुन रहे थे 
कुछ दिन पहले 
जो गूंगे बहरे लगते थे मुझे 
इनको क्या पता 
दाग लगे कपड़ों की तरह 
टांग दिए जायेंगे 
स्वार्थ की खूँटी पर 
पहले की तरह 
**************************
**************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक /अप्रकाशित

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Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 4:31pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी ///सादर 

Comment by annapurna bajpai on September 3, 2013 at 4:28pm

सुंदर , अति सुंदर शब्दों का खेल वाह ! बहुत बधाई आपको आ० राम शिरोमणि जी । 

Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 2:54pm

बहुत बहुत  आभार आदरणीय श्याम जी //सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on September 3, 2013 at 2:51pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.
Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 2:08pm

हार्दिक  आभार आदरणीया मीना जी /सादर  

Comment by Meena Pathak on September 3, 2013 at 2:04pm

बहुत सुन्दर .. हार्दिक बधाई

Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 1:59pm

हार्दिक  आभार आदरणीय  भाई केवल जी /सादर  

Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 1:58pm

हार्दिक  आभार  भाई जीतेन्द्र  जी /सादर  

Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 1:58pm

हार्दिक  आभार  भाई राज  जी /सादर  

Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 1:57pm

हार्दिक  आभार  भाई आशीष जी /सादर  

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