है हंसी रात बस चले आओ
बहके जज़्बात बस चले आओ !
उसने वादा किया वफ़ा देंगे
दे रहा घात बस चले आओ !
ज़िन्दगी हो गई है आवारा
क्या सवालात बस चले आओ !
ठन्डे पानी मे भी बदन जलता
क्या ये बरसात बस चले आओ !
"म“ञ्जरी" अब सहा नही जाता
अरज़े हालात बस चले आओ !
अप्रकाशित एवम मौलिक रचना !
Comment
बहुत सुन्दर ग़ज़ल .. बधाई स्वीकारें
आदरणीया मंजरी पाण्डेय जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है, सभी शेर अच्छे लगें, दाद कुबूल करें ।
ठन्डे पानी मे भी बदन जलता
क्या ये बरसात बस चले आओ !
..कमाल ..लाजवाब ग़ज़ल हुई है बहुत बधाई ..इस ग़ज़ल को सुखनवर के आयोजन मे सुना था आज पढ़कर आनंदित हूँ ..
Conrts.
आदरणीया मंजरी जी , अच्छी गज़ल हुई है !! बधाई !!
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