For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वन नन्दन था वय षोडश कंचन देह लिए चलती वह बाला
शुचि स्वर्ण समान लगे शुभ केश व चन्द्र प्रभा सम वर्ण निराला
नृप एक वहीं फिरता मृगया हित यौवन देख हुआ मतवाला
वह नेत्र मनोहर मादक थे मदमस्त हुआ न गया मधुशाला
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ


मौलिक व अप्रकाशित

Views: 950

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 17, 2013 at 5:27pm

आपकी उदारता आदरयोग्य है, आदरणीय

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 17, 2013 at 5:21pm

सौरभ जी मति के अनुरूप ही व्यक्ति प्रतिक्रिया व्यक्त करता है......मुझे लगता है लक्ष्मण प्रसाद जी की प्रतिक्रया में वास्तविक प्रशंसा के ही भाव थे किन्तु उनकी सामर्थ्य सीमित है.....अतः उनके स्तर को देखते हुए उनकी टिप्पड़ी क्षम्य है 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 16, 2013 at 10:32am

आपकी इस लालित्यपूर्ण रचना पर आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी की चुहलबाज़ी बदमग़ज़ी पैदा कर रही है कहूँ तो अन्यथा न होगा.  उनकी टिप्पणी से स्पष्ट है कि वे न तो आपकी प्रस्तुति के मर्म को समझ पाये हैं न ही आप द्वारा प्रयुक्त विधान की उनको समझ है. ऐसी टिप्पणियाँ किसी रचना की भद्द तो पीटती दिखती ही हैं, स्वयं टिप्पणीकार की रचनाकर्म की वैधानिक समझ को भी साझा करती हैं. आदरणीय लक्ष्मण प्रसाजी इस मंच के पुराने और स्थापित सदस्य हैं. उनसे सादर अपेक्षा है कि वे अपनी टिप्पणियों में आशु रचनाकर्म करने के क्रम में मूल रचना के विधान आर मर्म को अनदेखा न किया करें. अन्यथा कोई संवेदनील रचनाकार ऐसी टिप्पणियों से बिदक सकता है.  दूरगामी हानि इस मंच की ही होगी.

मै मंच पर हुए इस तरह के किसी लिहाज के लिए आपसे क्षमाप्रार्थी हूँ.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 16, 2013 at 10:29am

आपका सादर आभार, आदरणीय आशुतोशजी. 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:25am

आभार केवल जी 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:24am

प्रभूत आभार अन्नपूर्णा जी 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:23am

बहुत सुन्दर रविकर जी आभार

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:21am

गिरिराज जी विजय जी आभार 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:19am

अरुण शर्मा जी राम शिरोमणि जी बहु बहुत आभार 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 16, 2013 at 10:18am

जी सौरभ जी सत्य कहा आपने बहुत आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
yesterday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service