For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी नजर से हाइकु ...

भाव दिल के
क्रमबद्ध सजाये
बनी कविता !!

तुकान्त लय
समान मात्रा गणना
बने मुुक्तक !!

तीन पंक्तियां
पंच सप्तम पंच
हाइकु शैली !!

विस्तृत भाव
भूमिकाबद्ध व्याख्या
बने कहानी !!

कम शब्दों में
दे सार्थक सन्देश
लघु कहानी !!

(मौलिक व अप्रकाशित)

प्रवीन मलिक ...

Views: 704

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Parveen Malik on September 15, 2013 at 2:37pm
प्राची जी सादर अभिवादन

हाइकु पर विस्तृत जानकारी देने के लिए आभार स्नेह बनाये रखियेगा... धन्यवाद !

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 14, 2013 at 4:46pm

प्रिय परवीन मालिक जी ,

हायकू विधा पर सुन्दर प्रयास हुआ है..

स्वतंत्र अस्तित्व रखती हुई तीन पंक्तियाँ ५-७-५ में यह तो हायकू का शिल्प हुआ....लेकिन हायकू का कथ्य बहुत महत्वपूर्ण होता है...

हायकू वस्तुतः किसी भाव अतिरेक के क्षण को पूर्णता से समाहित करता हुआ होना चाहिये..जैसे किसी निःशब्दित एहसास को सांद्रता के साथ बांधा गया हो..

मूलतः हायकू प्रकृति पर लिखे जाते थे , पर अब इसने किसी भी विषय को समाहित किया जा सकता है.

हायकू में यदि प्रथम और तृतीय पंक्ति में समतुकान्तता हो तो गेयता बहुत प्रभाव्शानी तरह से हायकू को प्रस्तुत करती है.

आपकी कलम से और भी हायकू की प्रतीक्षा रहेगी 

सादर.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 14, 2013 at 12:00pm

आभार आदरणीया !

Comment by Parveen Malik on September 14, 2013 at 11:50am
बिलकुल सही कहा आदरणीय आपने .... कमियों से रुबरु कराइये ताकि कुछ सुधार कर सकूँ ... अच्छा लगा आपने कमी को इंगित किया और सुधारा भी ... भविष्य में ध्यान रहेगा ... सादर धन्यवाद आदरणीय !

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 14, 2013 at 10:52am

आदरणीया प्रवीण मलिक जी, हाइकू अच्छे लगें, एक हाइकू में तनिक सा लेकिन है |

कम शब्दों में दे सार्थक सन्देश => यह एक ही पॅक्ति जैसा है ना ?

लघु कहानी !!

यदि ज़रा सा सुधार करें .....

कम हो शब्द,
दे सार्थक सन्देश
लघु कहानी !!

बधाई इस प्रस्तुति पर |

Comment by Parveen Malik on September 13, 2013 at 10:48pm
सादर धन्यवाद डॉ अनुराग सैनी जी !
Comment by Parveen Malik on September 13, 2013 at 10:47pm
अन्नपूर्णा जी आपका सादर धन्यवाद अपना कीमती समय देने के लिए ...
Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 13, 2013 at 9:21pm

मैं नियमो के आधार का मोहताज नही ,

न ही गाफिल हूँ फ़लक की ऊँचाई से !   बहुत अच्छी शुरुआत 

Comment by annapurna bajpai on September 13, 2013 at 5:49pm

अच्छा प्रयास बधाई आपको  आ0प्रवीन जी । 

Comment by Parveen Malik on September 13, 2013 at 5:25pm
अरुन जी बिल्कुल हम ध्यान देंगे ... सादर धन्यवाद !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service