For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! डर गई है यह धरा !!!
बह्र -2122 212


मिल गया रब देख ले।
क्या मिला सब देख ले।।


जिंदगी है मौत सी,
कल कहां कब देख ले।


राम जाने क्या हुआ,
आसमां अब देख ले।


रात काली हो गयी,
बर्फ का ढब देख ले।


कल जहां पर जश्न था,
मौत-घर अब देख ले।


फिर अहम आलाप है,
भोर की शब देख ले।


हम किसे आवाज दे,
साथ में रब देख ले।


रात ढलती जा रही,
निश अजायब देख ले।


आज आभा कोसती,
लाल बेढब देख ले।


चींख कर रोती रही,
हाय! करतब देख ले।


सो गया है आसमां,
रंग-मजहब देख ले।


डर गई है यह धरा,
रोज आफत देख ले।


चल रही है आंधियां,
रूख हवा अब देख ले।


के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 584

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on September 16, 2013 at 4:24am

आदरणीय केवल प्रसाद जी:

 

इस सुन्दर रचना के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 15, 2013 at 11:57am

आदरणीय केवल भाई जी रचना बहुत ही अच्छी बन पड़ी है किन्तु मुझे ग़ज़ल की बहर पर संदेह है, क्या यह बहर मान्य है? कृपया मेरी शंका का निवारण करें. रचना पसंद आई इस हेतु ढेरों बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 15, 2013 at 9:26am

आदरणीय अन्नपूर्णा जी,  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और गजल की सराहना हेतु आपका तहेदिल शुकि्रया, आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 15, 2013 at 9:23am

आदरणीय लड़ीवाला सर जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह और गजल पर सराहना हेतु आपका तहेदिल शुकि्रया, आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 15, 2013 at 9:21am

आदरणीय जितेन्द्र भार्इ जी,  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और गजल पर सराहना हेतु आपका तहेदिल शुकि्रया, आभार। ़ सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 15, 2013 at 9:20am

आदरणीय भण्डारी भार्इ जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह और गजल पर अपार सराहना हेतु आपका तहेदिल शुकि्रया, आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 15, 2013 at 9:08am

आदरणीय आशुतोष भार्इ जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह और गजल पर अपार स्नेह हेतु आपका तहेदिल शुकि्रया, आभार।   जी, मैं भी अभी ओ0बी0ओ0 की गजल की कक्षा से सीख ही रहा हूं,  यहां पर सीखने की सामाग्री अत्यंत सरल और श्रेष्ठ स्तर की है। मेरी समझ में इससे बेहतर सामाग्री ढूढे से भी नहीं मिलेगी। मैंने कर्इ नामीगिरामी गजलकारों की गजल पढ़ी है। किन्तु मेरे आदर्श आदरणीय मुनव्वर राणा साहेब व आदरणीय वीनस केसरी जी हैं, जिन पर मैं आंख मूंद कर विश्वास करता हूं। सादर,

Comment by annapurna bajpai on September 14, 2013 at 10:48pm

आ0 केवल भाई जी सुंदर संदेश स्ंप्रेषित करती हुई रचना बधाई स्वीकारें ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2013 at 6:02pm

छोटी सुन्दर और लाजवाब गजल रचना के लिए बधाई श्री केवल प्रसाद जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 14, 2013 at 2:26pm

कल जहां पर जश्न था,
मौत-घर अब देख ले। ......वाह! क्या कहने..

चल रही है आंधियां,
रूख हवा अब देख ले।......बहुत खूब, सबसे पसंदीदा शेर

बेहद शानदार गजल , दाद कुबूल कीजिये आदरणीय केवल जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
13 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
15 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
15 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
15 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
15 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service