!!! डर गई है यह धरा !!!
बह्र -2122 212
मिल गया रब देख ले।
क्या मिला सब देख ले।।
जिंदगी है मौत सी,
कल कहां कब देख ले।
राम जाने क्या हुआ,
आसमां अब देख ले।
रात काली हो गयी,
बर्फ का ढब देख ले।
कल जहां पर जश्न था,
मौत-घर अब देख ले।
फिर अहम आलाप है,
भोर की शब देख ले।
हम किसे आवाज दे,
साथ में रब देख ले।
रात ढलती जा रही,
निश अजायब देख ले।
आज आभा कोसती,
लाल बेढब देख ले।
चींख कर रोती रही,
हाय! करतब देख ले।
सो गया है आसमां,
रंग-मजहब देख ले।
डर गई है यह धरा,
रोज आफत देख ले।
चल रही है आंधियां,
रूख हवा अब देख ले।
के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय केवल प्रसाद जी:
इस सुन्दर रचना के लिए बधाई।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीय केवल भाई जी रचना बहुत ही अच्छी बन पड़ी है किन्तु मुझे ग़ज़ल की बहर पर संदेह है, क्या यह बहर मान्य है? कृपया मेरी शंका का निवारण करें. रचना पसंद आई इस हेतु ढेरों बधाई स्वीकारें.
आदरणीय अन्नपूर्णा जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह और गजल की सराहना हेतु आपका तहेदिल शुकि्रया, आभार। सादर,
आदरणीय लड़ीवाला सर जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह और गजल पर सराहना हेतु आपका तहेदिल शुकि्रया, आभार। सादर,
आदरणीय जितेन्द्र भार्इ जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह और गजल पर सराहना हेतु आपका तहेदिल शुकि्रया, आभार। ़ सादर,
आदरणीय भण्डारी भार्इ जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह और गजल पर अपार सराहना हेतु आपका तहेदिल शुकि्रया, आभार। सादर,
आदरणीय आशुतोष भार्इ जी, सादर प्रणाम! आपके स्नेह और गजल पर अपार स्नेह हेतु आपका तहेदिल शुकि्रया, आभार। जी, मैं भी अभी ओ0बी0ओ0 की गजल की कक्षा से सीख ही रहा हूं, यहां पर सीखने की सामाग्री अत्यंत सरल और श्रेष्ठ स्तर की है। मेरी समझ में इससे बेहतर सामाग्री ढूढे से भी नहीं मिलेगी। मैंने कर्इ नामीगिरामी गजलकारों की गजल पढ़ी है। किन्तु मेरे आदर्श आदरणीय मुनव्वर राणा साहेब व आदरणीय वीनस केसरी जी हैं, जिन पर मैं आंख मूंद कर विश्वास करता हूं। सादर,
आ0 केवल भाई जी सुंदर संदेश स्ंप्रेषित करती हुई रचना बधाई स्वीकारें ।
छोटी सुन्दर और लाजवाब गजल रचना के लिए बधाई श्री केवल प्रसाद जी
कल जहां पर जश्न था,
मौत-घर अब देख ले। ......वाह! क्या कहने..
चल रही है आंधियां,
रूख हवा अब देख ले।......बहुत खूब, सबसे पसंदीदा शेर
बेहद शानदार गजल , दाद कुबूल कीजिये आदरणीय केवल जी
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