For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

--------------------

बेशर्म लोगों की

बड़ी -बड़ी फ़ौज है

चोर हैं उचक्के हैं

लूट रहे मौज हैं

----------------------

थाने अदालत में

'चोर' बड़े दिखते  हैं

नेता के पैरों में

'बड़े' लोग गिरते हैं

---------------------

बूढा किसान साल-

बीस ! आ रगड़ता है

परसों तारीख पड़ी

कहते 'वो' मरता है

------------------------

बाप की पगड़ी में

'भीख' मांग फिरता है

'नीच' आज नीचे 'पी'

गिरता फिसलता है

--------------------------

गधे और उल्लू का

बड़ा बोलबाला है

भक्त 'बड़े' चमचे हैं

जिनका मुंह काला है

-------------------------

नीति -रीति नियम -प्रीति

रोती हैं खोती हैं

विद्या व् लक्ष्मी भी

महलों जा रोती  हैं

-------------------------

सूरज भी क्षीण हुआ

अँधियारा छाया है

राहु-केतु ग्रहण लगा

कौन बच पाया है ?

-----------------------------

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'५

1.30 P.M.-2.08 P.M.

कुल्लू हिमाचल

26.08.2013

Views: 785

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 18, 2013 at 7:33pm

प्रिय शिरोमणि जी आभार प्रोत्साहन हेतु ..रचते रहिये आप सब ..आज के युवा जब इसमें रूचि लेते हैं तो अति आनंद आता है शुभ कामनाएं

आभार
भ्रमर ५

Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 7:26pm
  • आदरणीय सुरेन्द्र कुमार जी ,बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने//बहुत बहुत बधाई
Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 18, 2013 at 7:05pm

आदरणीय विजय निकोर जी जय श्री राधे ....रचना वास्तविकता को दर्शाती हुयी आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी अपना स्नेह बनाये रखें
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 18, 2013 at 7:04pm

आदरणीया विजयश्री जी रचना आज के परिदृश्य में कुछ सच्चाई उजागर कर सकी लिखना सार्थक रहा
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 18, 2013 at 7:03pm

प्रिय अनंत जी रचना की हर पंक्ति बंद को आप से सरहना और मान मिला ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 18, 2013 at 7:02pm

प्रिय गीत जी रचना कुछ वास्तविकता के दर्द को उजागर कर सकी लिखना सार्थक रहा आप ने सराहा
आभार
भ्रमर ५

Comment by vijay nikore on September 18, 2013 at 1:12pm

वास्तविक्ता को दर्शाती रचना रोचक लगी।

बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 12:38pm

 

सत्यता को उजागर करती इस रचना पर बधाई स्वीकारें सुरेन्द्र कुमार जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 18, 2013 at 11:46am

आदरणीय वर्तमान परिस्थति का सुन्दरता से वर्णन किया है आपने प्रत्येक पंक्ति शानदार है आदरणीय ढेरों बधाई स्वीकारें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 17, 2013 at 12:07am

गधे और उल्लू का

बड़ा बोलबाला है

भक्त 'बड़े' चमचे हैं

जिनका मुंह काला है.........वाह! वास्तविकता का आइना दिखाती पंक्तिया

बहुत बहुत बधाई आदरणीय सुरेन्द्र जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम साहिब को सादर अभिवादन "
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सबका स्वागत है ।"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
8 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service