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न मिलने का नया, उसका बहाना है.
उसे हर हाल बस, मेरा दिल दुखाना है .
कहाँ तक सुनें, कभी तो खत्म हो जाएँ,
नए किस्से नया, उसका हर फ़साना है.
जिसे देखो, वो संग ले हाथ में, दौड़े,
जहाँ में मुझ पागल का, क्या ठिकाना है .
सितमगर लाख बारूद बो, ज़मीनों में
अमन की फसलें, दिल में लहलहाना है.
नई हर चाल उसकी, पैंतरे खूब हैं,
उसे हर हाल में, मुझे हराना है.
रिवाजों में न कैद कर तू बेटी को
उसे दुनिया के आगे सर उठाना है .
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
सुन्दर प्रयास आ० शालिनी जी
बहर कुछ ज़गह हाथ छुड़ा कर भाग रही है.. सतत प्रयास से सधती जायेगी
शुभकामनाएं
शालिनी जी ..... बढ़िया व सरहनीय प्रयास है...| नमन सहित :)
वीनस केसरी जी .. मुझे पता है कि अभी बहुत सारी कमियां रहतीं हैं .. फिर भी आपकी टिप्पणी से हौंसला मिला .. आपका मार्गदर्शन भी वांछित है |
सधन्यवाद!
Dr Ashutosh Mishra ji हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ ..
वाह निभाते निभाते आप बहुत कुछ निभा ले गईं ... हार्दिक बधाई
जो थोड़ी सी कसर बची रह गई है वो भी जल्द दूर हो जायेगी
सादर शुभकामनाएं
आपके इस प्रयास पर हार्दिक बधाई ...
कहाँ तक सुनें, कभी तो खत्म हो जाएँ,
नए किस्से नया, उसका हर फ़साना है....आपका ये शेर मुझे पसंद आया सादर बधाई स्वीकारें
धन्यवाद जितेन्द्र 'गीत' जी
कहाँ तक सुनें, कभी तो खत्म हो जाएँ,
नए किस्से नया, उसका हर फ़साना है.
यह शेर बहुत पसंद आया,बढ़िया गजल, बधाई स्वीकारे आदरणीया शालिनी जी
अरुन शर्मा 'अनन्त' जी .. आगे पोस्ट करने से पहले इन बिन्दुओं पर अवश्य ही विचार करुँगी .. आपके अनमोल सुझाव हेतु धन्यवाद!
धन्यवाद Parveen Malik जी :)
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