1 2 2 2 1 2 2 2
कभी यूँ पास आ जाना
किया वादा निभा जाना /
गजब की यह फकीरी है
इसे तुम अब हटा जाना /
गरीबी हो अमीरी हो
कसम अपनी निभा जाना /
तुम्हारी आस आने की
जरा दिल में जगा जाना /
तुम्हारे ही भरोसे हूँ
भरोसा यह बढ़ा जाना /
दिलों को खोल कर अपने
गिले शिकवे मिटा जाना /
नहीं तकरार करना अब
हमें झट से मना जाना /
तुम्हें हम कह नहीं सकते
दिलों को अब मिला जाना //
..................................
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
दिलों को खोल कर अपने
गिले शिकवे मिटा जाना /
अति उत्तम रचना .. बधाई आ० सरिता जी
तुम्हारी आस आने की
जरा दिल में जगा जाना /
तुम्हारे ही भरोसे हूँ
भरोसा यह बढ़ा जाना /
दिलों को खोल कर अपने
गिले शिकवे मिटा जाना /
नहीं तकरार करना अब
हमें झट से मना जाना /
छोटी बहर पर ऐसी शानदार ग़ज़ल पढ़ कर आनंद आ गया
हार्दिक बधाई स्वीकारें
दिलों को खोल कर अपने
गिले शिकवे मिटा जाना बेहतरीन ग़ज़ल का ये शेर मुझे बेहद भाया ..आदरणीया सरिता जी आपको हार्दिक बधाई
तुम्हारे ही भरोसे हूँ
भरोसा यह बढ़ा जाना
बहुत खुबसूरत गजल , बहुत बहुत बधाई आदरणीया सरिता जी
बहुत ही प्यारी और मधुर गज़ल आदरणीया सरिता जी बधाई आपको
आ0 सरिता जी बहुत खूबसूरत गजल कही आपने आपको बहुत बधाई ।
वाह वाह आदरणीया सरिता जी छोटी बहर में बेहद सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर पसंद आये सुन्दरता से निभा गए आपने बधाई स्वीकारें.
सुन्दर आदरेया-
गजल पर टिप्पणी करना-
हमें आया नहीं अबतक |
बहुत सुन्दर बड़ी अच्छी -
कहूँ आखिर यहाँ कब तक |
आदरणीय सरिता जी , छोटी बह्र मे बहुत अच्छी गज़ल कही आपने , ढ़ेरों बधाई !!!!
बहुत खूब सरिता जी ... ग़ज़ल विधा में एक अच्छा प्रयास !
साभार!
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