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गिरा रुपैया
बढती मँहगाई
कौन खेवैया !..........१

भ्रष्ट समाज
कलुषित है सोच
बेमानी आज. !..........२

शिशु मुस्कान
खिले अन्तकरण
फूल समान !.............३

अक्स तुम्हारा
चमकता चन्द्रमा
सबका प्यारा !............४

भगवा वस्त्र
ठगी है मानवता
उठाओ शस्त्र ! ...........५

विषाक्त मन
निकालो समाधान
व्याकुल हम !.............६

सोचो तो जरा
सुरक्षित कहाँ धी
बेमौत मरा ! ..............७

मौलिक व अप्रकाशित

प्रवीन मलिक................

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Comment by रविकर on September 23, 2013 at 12:26pm

हैं शुभकामनायें
मन को भाये
जो हाइकू सजाएं

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on September 23, 2013 at 10:14am

वाह बढ़िया हाइकु परवीन मलिक जी !

शिशु मुस्कान
खिले अन्तकरण
फूल समान |

भगवा वस्त्र
ठगी है मानवता
उठाओ शस्त्र |

बहुत खूब !!!

Comment by MAHIMA SHREE on September 21, 2013 at 10:00pm

शिशु मुस्कान
खिले अन्तकरण
फूल समान !.


अक्स तुम्हारा
चमकता चन्द्रमा
सबका प्यारा

बहुत -२ हार्दिक बधाई आदरणीया प्रवीन जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 21, 2013 at 4:45pm

आदरणीया आपके इस प्रयास पर हार्दिक बधाई 

Comment by annapurna bajpai on September 20, 2013 at 10:51pm
आ0 प्रवीन मालिक जी आपको बहत बधाई ।

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