For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : तुम्हारा प्रेम ही - अरुन शर्मा 'अनन्त'

(बह्र: हज़ज़ मुसम्मन सालिम )
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन

तुम्हारा प्रेम ही अक्सर मुझे मगरूर करता है
तुम्हारा प्रेम ही अक्सर मुझे मजबूर करता है

तुम्हारा प्रेम ही खुशियों का इक साधन मेरी खातिर
तुम्हारा प्रेम ही खुशियों से कोसो दूर करता है,

तुम्हारा प्रेम ही हिम्मत मुझे मुश्किल घड़ी में दे,
तुम्हारा प्रेम ही तो हौंसला भी चूर करता है

तुम्हारा प्रेम ही मरहम बने जख्मों पे लग जाए ,
तुम्हारा प्रेम ही तो घाव को नासूर करता है

तुम्हारा प्रेम ही अस्तित्व मिटाने को सदा आतुर,
तुम्हारा प्रेम ही रक्षा मेरी भरपूर करता है... 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 30, 2013 at 12:54pm

आदरणीया प्राची दी ग़ज़ल आपको पसंद आई प्रयास सफल हुआ आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये.

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 30, 2013 at 12:54pm

आदरणीय मित्रवर संदीप भाई जी हार्दिक आभार आपका स्नेह यूँ ही बना रहे


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 30, 2013 at 12:47pm

प्रिय अरुण शर्मा जी 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है..  कुछ कुछ सूफियाना सा ये अंदाज़ पसंद आया 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 30, 2013 at 11:48am

वाह वाह आदरणीय अरुण भाई साहब

क्या ही ग़ज़ल हुई है

तुम्हारा प्रेम ही अस्तित्व मिटाने को सदा आतुर,
तुम्हारा प्रेम ही रक्षा मेरी भरपूर करता है...............वाह लाजवाब

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 30, 2013 at 11:12am

आदरणीय अभिनव अरुण भाई जी सादर प्रणाम ग़ज़ल पर आपकी टिपण्णी का इन्तजार रहता है, भाई जी यह ग़ज़ल यूँ ही बनती चली गई है, प्रेम वाकई पूजा है हर किसी को नसीब कहाँ होता है मेरा प्रेम तो मेरी जीवन संगिनी बनकर सदैव मेरे साथ रहती है.. भाई जी बुरा मानने वाली बात ही नहीं है आपने स्वयं ही कहा है अपना समझ कर कह रहा हूँ अपनों की बातों का बुरा नहीं मानते भाई जी. निःसंदेह आप कह सकते हैं . हार्दिक आभार आपका

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 30, 2013 at 11:07am

हार्दिक आभार आदरणीया वंदना जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 30, 2013 at 11:07am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जीतेंद्र भाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 30, 2013 at 11:07am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय निकोर सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 30, 2013 at 11:07am

हार्दिक आभार आदरणीया सरिता जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 30, 2013 at 11:06am

हार्दिक आभार आदरणीया मीना जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय Richa ji"
8 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय लक्ष्मण जी"
9 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय दिनेश जी "
10 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय संजय शुक्ला जी "
10 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय ज़ैफ़ भाई "
11 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"    शिकस्त-ए-नारवा     ------------------ रिवाज के विरुद्ध काम, शायरी का एक ऐब…"
37 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  ग़ज़ल — 212 1222…"
41 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service