**जवाँ दिल है,धड़कने दो |**
जवाँ दिल है, धडकनें भी,
ये धड़केंगी,
धड़कने दो |
नसों में लावा बहता है,
लहू बन के,
फड़कने दो ||
वतन के काम आएगा,
हर एक कतरा,
एक-एक बूँद ,
बंधी बेड़ी-जंज़ीरों को,
हौंसलों से,
तड़कने दो ||
उठो जागो कमर बाँधो,
विजय पथ पे,
अग्रसर हो |
खटकते हो गर दुश्मन की,
आँखों में,
खटकने दो ||
नफ़रत की आँधियों में,
गोलियों की,
हैं बौछारें |
शहादत की बिजलियों को,
आज खुल के,
कड़कने दो ||
सलामी सौ सौ तोपों की,
याद में,
वीर शहीदों की
हिन्द के नौजवानों की,
बुलंद होकर,
गरजने दो ||
जवाँ दिल है धडकनें भी,
ये धड़केंगी,
धड़कने दो |
नसों में लावा बहता है,
लहू बन के,
फड़कने दो ||
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
जोश भरी प्रस्तुति ...
शुभकामनाएं
अरुन जी, जितेन्द्र भाई, मीना जी, महिमा जी, डी.पी. माथुर जी एवं अनुराग जी आप सभी का सराहना हेतु आभार | शुक्रगुज़ार हूँ सभी वरिष्ठ लेखक -पाठक बन्धुओं का | सबको सादर प्रणाम | ऐसे ही मार्गदर्शन और हौसलाअफजाई करते रहें , बल मिलता है | धन्यवाद !!!
आदरणीया जीतेंद्र भाई बेहद ओजपूर्ण प्रस्तुति निम्न पंक्तियाँ बहुत ही लाजवाब हैं और अत्यधिक पसंद आईं. बधाई स्वीकारें. वाह
नफ़रत की आँधियों में,
गोलियों की,
हैं बौछारें |
शहादत की बिजलियों को,
आज खुल के,
कड़कने दो ||
सलामी सौ सौ तोपों की,
याद में,
वीर शहीदों की
हिन्द के नौजवानों की,
बुलंद होकर,
गरजने दो ||
बहुत सुंदर रचना, हार्दिक बधाई जीतेन्द्र जी
सलामी सौ सौ तोपों की,
याद में,
वीर शहीदों की
हिन्द के नौजवानों की,
बुलंद होकर,
गरजने दो ||..............सुन्दर रचना हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकारें
उठो जागो कमर बाँधो,
विजय पथ पे,
अग्रसर हो |
खटकते हो गर दुश्मन की,
आँखों में,
खटकने दो || .....आज देश की ऐसे ही जज्बे की जरुरत है .....बहुत -२ बधाई
सुन्दर रचना के लिए बधाई ।
बहुत ही सुन्दर ! जबरदस्त जज्बा है ! इस सुन्दर रचना पर आपको ढेरो बधाईयाँ
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