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कुण्डलियाँ [ जीवन ]

जीवन के पथ हैं सरल ,अगर सही हो सोच
जीवन की इस दौड़ में ,आती रहती मोच /
आती रहती मोच ,बैठ कर रुक मत जाना
आगे की लो सोच लक्ष्य जल्दी यदि पाना
अगर सारथी कृष्ण दौड़ते जीवन रथ हैं
यदि हौंसले बुलंद, सरल जीवन के पथ हैं//

..........................

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Sarita Bhatia on October 1, 2013 at 9:10pm

शुक्रिया अनुज संदीप 

Comment by Sarita Bhatia on October 1, 2013 at 9:09pm

आदरणीय अखिलेश जी शुक्रिया 

Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2013 at 8:42pm

आदरणीया सरिता जी,सुन्दर कुण्डलिया //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by रविकर on October 1, 2013 at 3:10pm

सुन्दर भाव-
कथ्य शिल्प भी सुगढ़-
आभार आदरेया-

जीवन की संजीवनी, है हौंसला अदम्य |
दूर-दृष्टि हो प्रभु कृपा, पाए लक्ष्य अगम्य ||

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 1, 2013 at 1:58pm

बहुत ही सुन्दर आदर्नेया सुन्दर कुण्डलिया पर बधाई स्वीकार कीजिये

जय हो

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 1, 2013 at 1:49pm

अगर सारथी कृष्ण दौड़ते जीवन रथ हैं //  कृष्ण बनें सारथी, सही दिशा में जीवन रथ हैं                                                                                                                यदि हौंसले बुलंद, सरल जीवन के पथ हैं  // 

बधाई आ. सरिता भाटिया जी ।

 

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