आराधना तीन बेटों की माँ बन गयी थी, लेकिन बेटी की कमी हमेशा उसे अन्दर से कचोटती रहती। सासू माँ ने समझाया भी कि बहूँ एक बार और देख लों शायद माता रानी सुन लें, पर वह कोई चांस नहीं लेना चाहती थी, बड़ी ननद ने तो यहाँ तक कहा कि मेडिकल साइंस आज बहुत आगे है - चेक करा लेना और यदि बेटी नहीं हुई तो…… लेकिन आराधना ने साफ़ साफ़ कह दिया कि वो ऐसा घृणित पाप नहीं कर सकती ।
नवरात्रि का पहला दिन था सुबह सुबह आराधना पूजा की डलिया लिए मंदिर जा रही थी, तभी मंदिर के बगल में भीड़ देख ठिठक गई, किसी ने नवजात कन्या को उसके हाल पर छोड़ दिया था। भीड़ में से कोई भी बच्ची को अपनाने हेतु आगे नहीं आ रहा था, आराधना को जैसे माता रानी ने आशीर्वाद दे दिया था, वह घरवालों की सर्वसम्मति से बच्ची को घर ले आयी । इस बात की सूचना आराधना के पति ने अपने क्षेत्र के थाने में भी दे दी ताकि किसी क़ानूनी पेचीदगी मे न पड़ना पड़े |
खुशी खुशी पाँच छ: दिन ही बीते होंगे कि थाने का दारोगा घर आ धमका और रौब झाड़ते हुए पचास हज़ार की माँग की, और मांग पूरी न होने की सूरत में बच्ची को थाने पहुँचा देने का हुक्म दे गया | आराधना और उसके परिवार की मिन्नतों का दारोगा पर कोई असर न हुआ, अंतत: मजबूरन बच्ची को थाना पहुँचाना पड़ा |
(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : गिरगिट
Comment
उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु आभार अनुज अरुन अनंत जी ।
सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी ।
आदरणीय बागी जी ,सुन्दर संदेशात्मक कथा के लिए बधाई
आपकी टिप्पणी बहुत उत्साहवर्धन करती है आदरणीय शरवेंदु मुखर्जी जी , बहुत बहुत आभार |
लघुकथा पसंद करने हेतु आभार आदरणीय जितेन्द्र गीत जी ।
सराहना हेतु बहुत बहुत आभार प्रिय आशीष नैथानी जी ।
आदरणीय सौरभ भईया, आप अपनी प्रतिक्रया में जो कहते हैं वो सभी लेखकों के लिए अवश्य महत्वपूर्ण होता होगा, मेरे लिए भी महत्वपूर्ण है नो डाउट, किन्तु जो आप नहीं कहते हैं वो मेरे लिए अति महत्वपूर्ण होता है । बहुत बहुत आभार ।
आदरणीया अन्नपूर्णा जी, आपकी प्रतिक्रया उत्साहवर्धन में सहायक है , बहुत बहुत आभार ।
आदरणीया डॉ प्राची जी, मैं आपकी पाठक धर्मिता का कायल हूँ , आप इस तरह से डूब कर पढ़ती हैं कि एक एक बातों को उल्लेखित कर देती हैं, इस लघुकथा में मैंने यही कोशिश किया था कि कम शब्दों में कई मुद्दों का समावेश किया जाय, आपकी प्रतिक्रया से काफी मनोबल ऊपर हुआ, बहुत बहुत आभार ।
सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय सैनी साहब ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online