For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलियाँ [मेरा परिचय]

कहते सब सरिता मुझे ,बढती हूँ निष्काम
जीवन के पथ हैं कठिन, चलते रहना काम
चलते रहना काम, नहीं रोके रुक पाती
शत्रु सामने देख , सहज दुर्गा बन जाती
मेरा शील स्वभाव , भाव हैं मुझमें बहते
मैं जीवन का स्रोत मुझे सब सरिता कहते //

....................................................

        मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 636

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Bhatia on October 8, 2013 at 9:15am

आदरणीया कुंती जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on October 8, 2013 at 9:14am

आदरणीया प्राची जी 

मन प्रसन्न है आपका ,करती हूँ आभार 

मार्गदर्शक बनी रहें , करती रहें सुधार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 7, 2013 at 8:37pm

बहुत सुन्दर कुण्डलिया आ० सरिता जी,

अपना परिचय कहती, शब्द भाव शिल्प प्रवाह सभी मानकों को संतुष्ट करती निर्दोष कुण्डलिया प्रस्तुत की है आदरणीया.. मन प्रसन्न हो गया 

हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by coontee mukerji on October 7, 2013 at 3:15pm

बहुत सुंदर परिचय.

Comment by Sarita Bhatia on October 7, 2013 at 12:48pm

आदरणीय लक्ष्मण जी 

आभारी हूँ आपकी ,देना आशीर्वाद

सबकी स्नेहिल प्रीत से,रहूँ सदा आबाद 

Comment by Sarita Bhatia on October 7, 2013 at 12:25pm

वाह वाह रविकर sir दिल की गहराइयों से नमन आपको कुण्डलिया में टिप्पिनी पाकर धन्य हुई 

परिचय भाया आपको दिल से है आभार
शिष्या मुझको जानलो,नमन करो स्वीकार

Comment by रविकर on October 7, 2013 at 11:18am

सुन्दर परिचय-
आभार आद्रेया-

सरिता का उद्गम कहाँ, कहाँ नहीं चल जाय |
करे लोकहित अनवरत, बस्ती कई बसाय |


बस्ती कई बसाय, खेत उपजाऊ करती |
नाले मिलते आय, बहुत गन्दगी अखरती |


रखते गन्दी नियत, दुष्ट फैले हैं परित: |

सह सकती नहिं और, मिले सागर में सरिता-

Comment by Sarita Bhatia on October 7, 2013 at 10:40am

ह्रदय तल से आभार

परिचय देने के लिये,भा गया है प्रतीक
गुरूदेव करती नमन,अनुमोदन भी स्टीक

 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 7, 2013 at 10:33am

सुन्दर परिचय आपका लगता अच्छा भाव 

कुण्डलिया भी बन पड़ी,  छोड़े नेक प्रभाव |------हार्दिक शुभकामनाए 

Comment by Sarita Bhatia on October 7, 2013 at 10:32am

अरुण शुक्रिया मार्गदर्शन एवं स्नेह बनाए रखें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service