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कुण्डलियाँ [मेरा परिचय]

कहते सब सरिता मुझे ,बढती हूँ निष्काम
जीवन के पथ हैं कठिन, चलते रहना काम
चलते रहना काम, नहीं रोके रुक पाती
शत्रु सामने देख , सहज दुर्गा बन जाती
मेरा शील स्वभाव , भाव हैं मुझमें बहते
मैं जीवन का स्रोत मुझे सब सरिता कहते //

....................................................

        मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by Sarita Bhatia on October 8, 2013 at 9:15am

आदरणीया कुंती जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on October 8, 2013 at 9:14am

आदरणीया प्राची जी 

मन प्रसन्न है आपका ,करती हूँ आभार 

मार्गदर्शक बनी रहें , करती रहें सुधार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 7, 2013 at 8:37pm

बहुत सुन्दर कुण्डलिया आ० सरिता जी,

अपना परिचय कहती, शब्द भाव शिल्प प्रवाह सभी मानकों को संतुष्ट करती निर्दोष कुण्डलिया प्रस्तुत की है आदरणीया.. मन प्रसन्न हो गया 

हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by coontee mukerji on October 7, 2013 at 3:15pm

बहुत सुंदर परिचय.

Comment by Sarita Bhatia on October 7, 2013 at 12:48pm

आदरणीय लक्ष्मण जी 

आभारी हूँ आपकी ,देना आशीर्वाद

सबकी स्नेहिल प्रीत से,रहूँ सदा आबाद 

Comment by Sarita Bhatia on October 7, 2013 at 12:25pm

वाह वाह रविकर sir दिल की गहराइयों से नमन आपको कुण्डलिया में टिप्पिनी पाकर धन्य हुई 

परिचय भाया आपको दिल से है आभार
शिष्या मुझको जानलो,नमन करो स्वीकार

Comment by रविकर on October 7, 2013 at 11:18am

सुन्दर परिचय-
आभार आद्रेया-

सरिता का उद्गम कहाँ, कहाँ नहीं चल जाय |
करे लोकहित अनवरत, बस्ती कई बसाय |


बस्ती कई बसाय, खेत उपजाऊ करती |
नाले मिलते आय, बहुत गन्दगी अखरती |


रखते गन्दी नियत, दुष्ट फैले हैं परित: |

सह सकती नहिं और, मिले सागर में सरिता-

Comment by Sarita Bhatia on October 7, 2013 at 10:40am

ह्रदय तल से आभार

परिचय देने के लिये,भा गया है प्रतीक
गुरूदेव करती नमन,अनुमोदन भी स्टीक

 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 7, 2013 at 10:33am

सुन्दर परिचय आपका लगता अच्छा भाव 

कुण्डलिया भी बन पड़ी,  छोड़े नेक प्रभाव |------हार्दिक शुभकामनाए 

Comment by Sarita Bhatia on October 7, 2013 at 10:32am

अरुण शुक्रिया मार्गदर्शन एवं स्नेह बनाए रखें 

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