For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

न ज़िंदगी को सजाना, गड़े खज़ाने से

नसीब ‘राख़’ है, साँसों के रूठ जाने से//१

.

खड़े हैं क़ब्र के पत्थर-से लोग चौखट पर   

जवान बेटी की इज्ज़त को यूँ गंवाने से//२

.

पकड़ के पूँछ कलाई, पे बांध लेता मैं

जो मान जाता कभी वक़्त भी मनाने से//३

.

न आफ़ताब को हो फ़िक्र तो मिटेगा क्यूँ 

कोई न फ़र्क है जुगनूँ के दिल जलाने से//४

.

सुना है अश्क़ दवाई से कम नहीं होता   

तो छोड़ रात में पलकों को यूँ नहाने से //५

.

तुझे है फ़िक्र कि कश्ती तेरी सलामत हो

मुझे मलाल किनारों के डूब जाने से//६

.

लहू के खेल में फ़रमान कर दिया जारी  

सजा-ए-मौत ग़रीबों को मुस्कुराने से//७

.

जमीं पे छोड़ उसी माँ को उड़ गए हम भी 

जो चहचहाते थे दाने को ढूंढ लाने से//८

.

खरीद ‘नाथ’ न पाया वो नींद आँचल की

जो नींद आती थी ‘माँ’ तेरे गुनगुनाने से//९

.

"मौलिक व अप्रकाशित"

वज्न : न-1/ज़िंदगी-212/को-1/सजाना-122/गड़े-12/खज़ाने-122/से-2 [1212-1122-1212-22] 

Views: 926

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 7, 2013 at 6:21pm

बहुत बहुत शुक्रिया coontee mukerji जी हार्दिक धन्यवाद......!!!!!!!

Comment by coontee mukerji on October 7, 2013 at 3:09pm

तुझे है फ़िक्र कि कश्ती तेरी सलामत हो

मुझे मलाल किनारों के डूब जाने से//६...............बहुत खूब.

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 7, 2013 at 12:30pm

आपका सदैव स्वागत है मित्र शुभकामनाएं आगे बढ़ते रहें ओ बी ओ परिवार आपके साथ है सदैव

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 7, 2013 at 12:24pm

जी .....'अनंत साहब'...बहुत बहुत शुक्रिया....मिल गया और मैंने पढ़ा भी...बाद में और ध्यान से पढ़ लूँगा......उम्मीद है...आईन्दा यह भूल नहीं होगी.......हार्दिक नमन !!!!!!!!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 7, 2013 at 12:14pm

आदरणीय रामनाथ भाई जी यहीं पर ऊपर देखिये पाठशाला है वहां आप केवल तकाबुले रदीफ़ दोष के बारे में ही नहीं अपितु ग़ज़ल से सम्बंधित तमाम दोष और बारीकियों की जानकारी हासिल कर सकते हैं. यदि कोई समस्या हो तो निःसंकोच पूछ सकते हैं.

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 7, 2013 at 12:06pm

मेरा श्री अरुण शर्मा 'अनंत' साहब से विनम्र निवेदन है कि ''तकाबुले रदीफ़ का दोष'' के बारे में कुछ जानकारी दे ताकि यह गलती दोबारा न हो सकें....इस अभिनव कार्य के लिए आपका आजीवन आभारी रहूँगा..........नमन !!!!!

(उदहारण के तौर पर मेरे आशा'आर को लें..तो मुझे बहुत सुविधा होगी)

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 7, 2013 at 12:03pm

आदरणीय अरुण शर्मा 'अनंत' साहब, गणेश जी 'बाग़ी' साहब...हार्दिक प्रसन्नता हुई, आपने मेरी कमियों की तरफ इंगित किया..मुझे तो बहुत अच्छा लगता है..जब सीखने को मिलता है..और इस मंच का मेरे हृदय में अथाह प्रेम के साथ स्थान है...बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ...आपके सटीक और सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु......नमन !!

आदरणीय अरुण कुमार निगम साहब...आपका सुझाव मेरे सर-आँखों पर........आप सभी महानुभावों का हार्दिक आभार.....!!!!!

   


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 7, 2013 at 12:58am

आदरणीय रामनाथ जी, गज़ल में भावों को सुंदरता से पिरोया है, आदरणीय गणेश जी और अरुण अनंत जी की प्रतिक्रियाओं पर गम्भीरता से विचार करें  शिल्प  भी उम्दा हो जायेगा.

Comment by annapurna bajpai on October 6, 2013 at 11:47pm

पकड़ के पूँछ कलाई, पे बांध लेता मैं

जो मान जाता कभी वक़्त भी मनाने से//.......... बहुत ही सुंदर पंक्ति, बधाई आपको । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2013 at 11:37pm

जो टिप्पणीकर्ता शुद्ध पाठक हैं और ग़ज़ल शिल्प को नहीं जानते वो कुछ भी कहें कोई बात नहीं किन्तु जो मित्र ग़ज़ल के जानकार हैं और वो शिल्प को देखे बिना कोरी वाह वाही कर रहे हैं उनपर शक होता है कि वो रचना पढ़ते भी है या नहीं । 

प्रथम दृष्टि में ही रचना काफिया स्तर पर खारिज है फिर भी साथी गण ……………

क्या अच्छा होता कि आप गुणी जन प्रस्तुत रचना की कमियों को इंगित करते जिससे लेखक को फायदा मिलता जो मंच के उद्देश्यों के अनुरूप होता ।  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी सहजता और सौम्यता सम्माननीय है।"
21 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
" "था, बस तुम्हारा नाम था" रदीफ़ रखते हुए। 😊"
22 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मेरे प्रयास की सराहना के लिए बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
28 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी सराहना और सुझाव दोनों समान रूप से स्वीकार्य है आदरणीय। स्नेहाशीष के लिए आभार।"
31 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//टीस बढ़ती ही गयी, ज्यूँ ज्यूँ दवा लेता गयाउस दवा का नाम क्या था, बस तुम्हारा नाम था// बहुत ख़ूब…"
35 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
41 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, आपका कथन उचित है परंतु कई बार अनेंकों का भी प्रयोग किया जाता…"
43 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सादर प्रणाम आदरणीय ! मेरी साधारण कहन को सोने के गहने पहना दिये आपने। मन प्रफ्फुलित हो गया आपका आशीष…"
45 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
49 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई गजेंद्र जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
49 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, आपके सुझाव के लिए हार्दिक आभार। आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला। सादर।"
51 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गजेन्द्र श्रोत्रिय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
55 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service