मैया दस्तक दे रही ,खोलो मन के द्वार
मात कृपा से हो सदा ,हर सपना साकार //
हर सपना साकार ,जा कर द्वार पर कर लो
देती माँ आशीष , झोलियाँ खाली भर लो
सरिता करे पुकार ,तार माँ सबकी नैया
दे दर्शन चढ़ शेर ,सदा जगदम्बे मैया//
तेरे दर पर हूँ खड़ी,नतमस्तक कर जोड़
सर पर रखना हाथ माँ, दुख जाएँ दर छोड़
दुख जाएँ दर छोड़ ,हो साकार हर सपना
रहे न पारावार दो आशीष माँ अपना
भेंट करो स्वीकार, कब से लगाती फेरे
दर्शन देदो मात ,दर पर खड़ी मैं तेरे //
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मौलिक व अप्रकाशित
Comment
शुक्रिया अरुण मार्गदर्शन करते रहें
अ0 सरिता जी बढ़िया कुण्डलिया की रचना हुई है , बहुत बधाई आपको ।
आदरणीया सरिता जी बहुत सुन्दर कुन्डलिया रची है आपने !!!!! बधाई !!!!!!
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह शानदार कुण्डलिया छन्द क्या बात है,,,,,,,,,,,बधाई आपको
आदरणीया सरिता जी माँ को समर्पित सुन्दर भाव भरे कुण्डलिया छंद रचे हैं आपने, प्रयास बहुत ही अच्छा है और अधिक अच्छा हो सकता था. खैर इस प्रयास पर ढेरों बधाई स्वीकारें जय माता दी.
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