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यह रचना मात्र हास्य के लिए लिखी गई है। इसका किसी भी व्यक्ति विशेष या जाति विशेष से कोई सरोकार नहीं है। कृपया इसे अन्यथा न लेकर मात्र एक हास्य के रूप में स्वीकार कर अपने आशीर्वाद से अनुग्रहित करें। सादर.....

मैडम

चौबे जी का मामला, लगता डाँवाडोल।

सिर से तो फुटबॉल है, और पेट है ढोल।।

और पेट है ढोल, चले वो जैसे हाथी,

चौबन उनके संग, रहे तो खूब लजाती।

पगलाए से डाँट, डपटकर बोले क्यों बे,

उनको कहते ‘मैम’, व हमको अंकल चौबे।

 

सारे उनकी बात पे, मंद मंद मुस्काय।

चौबे जी की खोपड़ी, प्रश्न कहाँ से लाय।।

प्रश्न कहाँ से लाय, सुनो तुम मेरा उत्तर,

बेटी हुई जवान, बड़े भाई सा पुत्तर।

किंतु फिगर है सैट, अभी चौबन का प्यारे,

इसीलिए हर राह, पुकारें ‘मैडम’ सारे।

------------------------------------ सुशील जोशी

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

संशोधित

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Comment by Sushil.Joshi on October 17, 2013 at 10:29pm

आपकी टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीय अखिलेश जी....

Comment by Sushil.Joshi on October 17, 2013 at 10:27pm

हा...हा...हा..... बहुत बहुत धन्यवाद आपका अनुमोदन के लिए आदरणीय वीनस जी.....

बाकी जहाँ तक दूसरे छंद की चौथी पंक्ति का सवाल है.... तो यह एक मात्रिक छंद है.... और इसमें इस पंक्ति पर 13+11 = 24 मात्राओं का योग होता है....S यानि की 2 एवं 1 यानि कि 1 मात्रा.... अतएव यह कुछ निम्न प्रकार होगा....

SS 1S 1S1,  S S 1 S S S 11

बेटी हुई जवान, कॉलेज में है पुत्तर।

मेरे हिसाब से यह सही है....बाकी फिर भी कहीं कोई त्रुटि हो तो अन्य जानकारों की राय का स्वागत है....

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 17, 2013 at 10:21pm

सुशील भाई बधाई ,वाकई मज़ा आया।

Comment by वीनस केसरी on October 17, 2013 at 10:17pm

सुन्दर प्रहसन है ...

(आपने चेताया है मगर हम बुरा मान चुके है ...क्योकि आजकल होली भी नहीं है तो बुरा मानने की खुली छूट है) 

मेरे ख्याल से दूसरे छंद की चौथी पंक्ति में लयभंग हो रही है ... छंद के जानकार लोग स्पष्ट बताएँगे

कृपया ध्यान दे...

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