For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी कान्हा बांसुरी, छेड़े ऐसी तान

जिसकी धुन में मन रमा, बिसरा सुध-बुध-ध्यान

बिसरा सुध-बुध-ध्यान, मोह के बंधन छूटे

जग माया का जाल, दर्प के दरपन टूटे

हुआ क्लेश का नाश, पीर सब हर ली मेरी

पर ये क्या बैराग? लुभाती है छवि तेरी !!

- बृजेश नीरज 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 858

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on October 24, 2013 at 9:36pm

आदरणीय सुशील जी आपका हार्दिक आभार! रचना को मिला आपका अनुमोदन वास्तव में महत्वपूर्ण है मेरे लिए!

Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 6:33am

पर ये क्या बैराग? लुभाती है छवि तेरी............ वाह वाह आ0 बृजेश भाई जी.... बहुत सुंदर..... कान्हा से प्रेम को दर्शाती एक बेहद ज़ोरदार प्रस्तुती..... बधाई आपको...

Comment by बृजेश नीरज on October 20, 2013 at 8:53am

आदरणीया कुंती जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by coontee mukerji on October 20, 2013 at 1:38am

री कान्हा बांसुरी, छेड़े ऐसी तान

जिसकी धुन में मन रमा, बिसरा सुध-बुध-ध्यान

बिसरा सुध-बुध-ध्यान, मोह के बंधन छूटे.......बहुत सुंदर बृजेश जी.हर विधा में आपकी लेखनी माहिर है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 19, 2013 at 11:14pm

आदरणीय बृजेश जी,

इस आगे-पीछे को छोड़ हम वाह-वाही एक्सप्रेस पर चढ़ने-उतरने के मायावी खेल से बचे ही रहें :))) तो ही तथ्यपरक चर्चा की सार्थकता है.

हम सभी समवेत सीखते चलें... और नित रचनाकर्म करते रहें , यही सद्कामना है.

सादर.

Comment by बृजेश नीरज on October 19, 2013 at 10:32pm

आदरणीया प्राची जी, आपका बहुत आभार! फिर भी अभी खुद को आपसे पीछे ही मानता हूँ!

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 19, 2013 at 10:27pm

//आपने अपनी कुण्डलियाँ की जो पंक्तियाँ यहाँ प्रस्तुत की हैं वो भावाभिव्यक्ति में बहुत उच्च कोटि की हैं! काश! मैं भी कभी इस विधा में ऐसा कुछ कह पाऊं!//

ये क्या कह रहे हैं आ० बृजेश जी.... वैसे ही भावों को , वैसी ही गहनता के साथ अनुभव करके ..आपने वैसा ही लिखा हैं यहाँ ..... तभी तो हमने अपनी पंक्तियाँ सांझा कीं :)))))))

सादर!

Comment by बृजेश नीरज on October 19, 2013 at 10:22pm

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार! आपकी विस्तृत टिप्पणी से बहुत सबल मिला! आपने अपनी कुण्डलियाँ की जो पंक्तियाँ यहाँ प्रस्तुत की हैं वो भावाभिव्यक्ति में बहुत उच्च कोटि की हैं! काश! मैं भी कभी इस विधा में ऐसा कुछ कह पाऊं!

सादर!

Comment by बृजेश नीरज on October 19, 2013 at 10:19pm

आदरणीय सौरभ जी, आदरणीय बागी जी और आदरणीया राजेश कुमारी जी आप तीनों का बहुत बहुत आभर! आप लोगों की चर्चा से मुझे भी बहुत कुछ सीखने को मिला! कुण्डलियाँ सीखने के प्रथम चरण में ही हूँ, आप लोगों का मार्गदर्शन मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा!

सादर!

Comment by बृजेश नीरज on October 19, 2013 at 10:17pm

आदरणीय संदीप भाई और नीरज जी आपका हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service