For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राह आसां नहीं है उल्फत की

२१२२     १२१२     २२

जिंदगी और इम्तिहान न ले

कुछ भी ले ले मेरा गुमान न ले 

मशविरा है यही फकीरों का  
यूं कभी दी हुई ज़बान न ले  


राह आसां नहीं  है उल्फत की

नन्हे से दिल मे आसमान न ले

चल खिलोनों से खेलते हैं हम

तू अभी हाथ में कृपान न ले 

जो पड़ोसी है मुल्क उसको बता  
असलहों से भरी दुकान न ले

खुल के जी खुद भी, सब को दे जीने  

अपनी मुट्ठी मे तू जहान न ले  

जिन की झोली में बस दुआयें हों  

उन फकीरों से उन की आन न ले

मौलिक एवं अप्रकाशित 

डॉ आशुतोष मिश्र 

Views: 909

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 23, 2013 at 4:07pm

आदरणीय आशुतोष जी बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल बन पड़ी है शेर नंबर 6 में तकाबुले रदीफ़ दोष है कृपया वज्न या बह्र इंगित कर दिया करें ताकि समझने में आसानी हो सके और प्रश्न चिन्ह न लगें. इस ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें.

Comment by coontee mukerji on October 23, 2013 at 1:54pm

बहुत सुंदर .

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 23, 2013 at 8:17am

आदरणीय विजय सर ...आपके हौसला बढाते शब्द मुझे उर्जा मय बनाते हैं ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 23, 2013 at 8:15am

आदरणीय अखिलेश जी बिलकुल हो सकता है ..नन्हे शब्द में भी मुझे मासूमियत का ही भाव लगता है ..मुझे भी ग़ज़ल की बारीकियों का ज्ञान नहीं है ग़ज़ल से मेरा जुडाव अभीचंद महीनात पहले का ही है ..इस प्रश्न का सटीक उत्तर विद्वत जनो से ही मिल सकेगा 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 23, 2013 at 8:10am

आदरणीय सौरभ सर ..मैं आपसे सहमत हूँ आपकी सलाह पर मैं लगातार अमल भी करता रहा पर इस बार मुझसे अनजाने में पुनः भूल हुई ..इसके लिए क्षमा चाहता हूँ ..भविष्य में इसका ध्यान रखूंगा ताकि पुनरावृत्ति न हो ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 23, 2013 at 8:08am

आदरणीय शिज्जू जी ..आपके प्रोत्शाहन से भरे शब्दों के लिए हार्दिक धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 23, 2013 at 8:05am

आदरणीय गिरिराज जी ..हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 23, 2013 at 8:04am

आदरणीय सौरभ जी ..प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद ..सादर 

Comment by vijay nikore on October 23, 2013 at 7:19am

बहुत सुन्दर गज़ल है, बधाई।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 22, 2013 at 9:52pm

अच्छी गज़ल हुई है आशुतोष भाई ,बधाई। क्या"'नन्हें से'"की जगह " मासूम " लिखना ठीक है । गज़ल की बारीकियाँ मुझे नहीं मालूम।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
8 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service