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“इन्सपैक्टर साहब, मैं तो कहती हूँ कि हो न हो मेरे गहने मेरी सास ने ही चुराए हैं..... बहुत तिरछी नज़र से देखती थी उनको...... अब सैर के बहाने चंपत हो गई होगी उन्हें लेकर।“ – बड़े गुस्से में रौशनी ने कहा

वहीं रौशनी का पति दीपक चुपचाप खड़ा था।

इससे पहले की इन्सपैक्टर साहब कुछ कहते रौशनी की सास घर वापस लौटती दिखी। अपने घर पर भीड़ देखकर वे कुछ परेशान हुईं और कारण जानकर वे फिर से साधारण हो गईं जैसे कि वे चोर के बारे में जानती हों। अंदर अपने कमरे में जाकर वो दो कड़े और एक चेन लेकर वापस आईं और रौशनी को देते हुए बोलीं – बहू यह लो अपना सामान। कल तुमने इन्हें उतारकर ड्राइंग रूम में ही छोड़ दिया था। सुबह सैर को जाते समय मेरी नज़र इन पर पड़ी तो उठाकर अपनी अलमारी में संभाल कर रख दिया। तुम तो सो रही थीं ना। फिर एक नज़र उन्होंने दीपक पर डाली और फिर से अपने कमरे में चली गई।

दीपक अभी भी मौनव्रत खड़ा था।

.

 सुशील जोशी

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by Sushil.Joshi on October 27, 2013 at 5:24am

टिप्पणी स्वरूप आपका आशीर्वाद मेरे सर आँखों पर आ0 गिरिराज जी..... बहुत बहुत आभार...

Comment by Sushil.Joshi on October 27, 2013 at 5:23am

हार्दिक धन्यवाद आपका आ0 विजय निकोरे जी....

Comment by Sushil.Joshi on October 27, 2013 at 5:23am

जी एकदम सत्य वचन कहे आपने...... बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस कथा पर अनुमोदन करने के लिए आ0 विजय मिश्र जी....

Comment by Sushil.Joshi on October 27, 2013 at 5:21am

सही कहा आ0 अखिलेश जी..... आजकल इस प्रकार के नज़ारे आम हैं...... बहुत बहुत धन्यवाद आपका...

Comment by Sushil.Joshi on October 27, 2013 at 5:20am

हार्दिक आभार आपकी टिप्पणी के लिए आ0 सारथी जी....

Comment by Sushil.Joshi on October 27, 2013 at 5:19am

बहुत बहुत धन्यवाद आपका आ0 सरिता जी...... आपकी प्रतिक्रिया से मुझे संबल मिला है.....

Comment by Sushil.Joshi on October 27, 2013 at 5:18am

रचना के मर्म पर अपनी अमूल्य टिप्पणी देने के लिए आपका हार्दिक आभार आ0 जितेन्द्र भाई जी....

Comment by Sushil.Joshi on October 27, 2013 at 5:17am

बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय शिज्जू भाई जी..... इस कथा के विषय में आपके अनमोल वचनों से लेखन सार्थक हुआ....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 26, 2013 at 6:47pm

आदारणीय सुशील भाई , सुन्दर सन्देश देती आपकी लघु कथा के लिये आपको हार्दिक !!!!! बधाई !!!!

आयायित सभ्यता ने सास बहू के झगड़े को और नया रूप दे दिया है !!!

Comment by vijay nikore on October 26, 2013 at 6:12pm

संदेश देती आपकी यह लघु कथा अच्छी लगी। बधाई।

कृपया ध्यान दे...

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