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बलाये आसमानी में ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

1222       1222        1222     1222

 

कभी फूलों मे कलियों में, कभी झरनों के पानी में

मुझे महसूस तू होता, हवाओं की रवानी में

कभी बेकस की आहों में ,निगाहे बेबसी में भी 

कभी खोजा किया तुझको, किसी गमगीं कहानी में

मुदावा मेरी लग्ज़िश का, मेरी कोशिश का तू हासिल

मेरी मुस्कान में तू है, तू है दर्दे निहानी में 

खयालों मे तेरा कब्ज़ा, मेरी अनुभूति में तारी

मेरी हर गुफ़्तगू तुझसे, तू मेरी बेज़ुबानी में

तू पोशीदा, अयाँ भी तू ,दुआ भी तू, करम भी तू

तू रूहानी अक़ीदत है ,मेरी इस ज़िन्दगानी में

तू हाज़िर है, जो हर लम्हा खुली या बन्द आँखें हो

मै खुशियाँ ढूँढ लूंगा अब, बलाये आसमानी में 

******************************************************************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 10:22pm

आदरणीय सुशील भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!

Comment by Sushil.Joshi on October 29, 2013 at 9:42pm

बहुत सुंदर गज़ल कही है आ0 गिरिराज जी... बहुत बहुत बधाई हो इस प्रस्तुति के लिए....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 5:07pm

आदरणीय विजय मिश्र भाई , गज़ल पर आपका आना और ऐसा उत्साह वर्धन करना , सच ! मेरे लिये बहुत बड़ी खुशी का कारण है !

!!!!उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 4:56pm

आदरणीय राम शिरोमणी भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 4:50pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई,  गज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ !!!!

Comment by विजय मिश्र on October 29, 2013 at 3:48pm
क्या अन्दाजेबयानी है ,बहुत खूबसूरत तरजीह पेश कियी है ,मैं भी आपकी हौसलाअफजाई करता हूँ . बहुत खूब गिरिराजजी
Comment by ram shiromani pathak on October 29, 2013 at 11:22am

खयालों मे तेरा कब्ज़ा, मेरी अनुभूति में तारी

मेरी हर गुफ़्तगू तुझसे, तू मेरी बेज़ुबानी में///वाह 

आदरणीय गिरिराज  जी  ,इस बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल के  लिए बहुत बहुत बधाई///सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 29, 2013 at 11:04am

आदरणीय गिरिराज जी, खुबसूरत गजल पर , बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 9:25am

आदरणीय बड़े भाई  विजय जी , गज़ल को अपना आशीर्वाद देने ने लिये आपका तहे दिल के शुक्रिया !!!!


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Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 9:23am

आदरणीया वन्दना जी, गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!

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