For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये कैसी दीवाली ? अतुकांत ( गिरिराज भंडारी )

दिया है

शरीर

कर्मों की

अग्नि  

मन की बाती

सांसों का

तेल

सारा जीवन

परम पिता का

खेल !!!!!

घर की

जमीन

लीपी गई

दीवारें

पोती गई

सब कुछ

साफ साफ

लाइटों का

जगमग उजाला

बाहरी दिया भी

जला डाला !!!!!!!

अन्दर अँधेरा

दिया शांत

बाती शीतांग

कर्म विरोधी

दुर्दांत

चुकता तेल

अपने ईश्वर से

असंभव मेल

आत्मा से दूर

हर हाथ सवाली

नीयत काली

ये कैसी दीवाली ? !!!!!!

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 828

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on November 4, 2013 at 5:37pm

आदरणीय गिरिराज जी रचना बहुत अच्छी है,बहुत बहुत बधाई!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2013 at 5:12pm

आदरणीय विजय मिश्र भाई , रचना के मर्म तक पहुँच के प्रतिक्रिया देने और रचना की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2013 at 5:10pm

आदरणीय मीना जी , रचनाकी सराहना के लिये आपका बहुत आभार !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2013 at 5:09pm

आदरणीय अरुण निगम भाई , रचना के मर्म पर प्रतिक्रिया देने के लिये और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2013 at 5:07pm

आदरणीय राहुल भाई , आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये बहुत बहुत आभार !!!!!

Comment by विजय मिश्र on November 4, 2013 at 4:30pm
भाई गिरिराजजी , आपकी यह रचना उन्मत है ,मतवाले भावों से संतृप्त है और सांसारिक ढकोसलों पर उत्कट प्रहार . सत्यही अंतस तमोमय हो तो आप इन प्रतीक दीपों को जला केवल लौकिकता का निर्बाह मात्र करते हैं और स्वेम को छलते हैं
सुंदर रचना .दोनों सुअवसरों की बधाई लें .
Comment by Meena Pathak on November 3, 2013 at 5:02pm

बहुत सुन्दर .. हार्दिक बधाई | शुभ दीपावली, सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 3, 2013 at 2:49pm

जब अंतस का दीप जले, तब ही उजियारा होय.............सुन्दर रचना हेतु बधाई.............

शुभ दीपावली...........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 2, 2013 at 6:20pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , रचना की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 2, 2013 at 6:18pm

आदरणीय बड़े भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभार !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"कृपया ठेले पढ़ें।एडिट का समय निकल जाने के बाद इस टंकण त्रुटि पर ध्यान गया"
9 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद  _ चित्र दिखाता मस्त, एक टोली बच्चों की हैं थोड़े शैतान, मगर दिल के सच्चों की ठान…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ******** पके हुए  ढब  आम,  तोड़ने  बच्चे आये। गर्मी का उपचार, तभी यह…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, आदरणीय, वाह!  प्रवहमान अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई शुभ-शुभ "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय समर  भाई , ग़ज़ल पर  उपस्थिति  और विस्तृत सलाह के लिए आपका आभार तक़ाबूल-ए-…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  बड़े  भाई , आपकी रचना चित्र को अच्छे से  चित्रित  कर रही है , अंतिम बंद…"
4 hours ago
Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
yesterday
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ 'मन के कोने में…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service