सुन..! मेरे मिट्टी के बर्तन,
तू अपनी असलियत को पहचान
इस संसार की झूठी, खोखली वाहवाही से
परे रहना
अपनी गहराई से ज्यादा, अनुपयोगी द्रव्य को
मत सहेजना, ढुल जाता है..
इक दिन निकल गया मैं
किसी के कहने पर
इक नयी मिट्टी का बर्तन बनाने
उस मिटटी में सौंधी खुसबु,
रंग मेरी मिट्टी की ही तरह, साँवला
हुबहू.... मेरे जैसी ही मिट्टी
पर शायद तनिक, कंकरियां मिली थीं,
उससे न बना पाया,बर्तन
बनने से पहले ही
बिखर गया..टूट गया
मेरा मिट्टी का बर्तन...!
जितेन्द्र ' गीत '
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय जीतेंद्र भाई जी भावपक्ष बेहद सुन्दर है बहुत ही पसंद आया आदरणीय बृजेश भाई जी की बातों पर ध्यान दें इस प्रस्तुति के बधाई स्वीकारें.
सुन्दर रचना | बधाई आप को
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय अखिलेश जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा
सादर!
सुन्दर और सार्थक रचना | थोड़ा और समय देकर आ. कुन्तिजी की टिपण्णी अनुरूप संजोये सादर |
सुन..! मेरे मिट्टी के बर्तन,
तू अपनी असलियत को पहचान
इस संसार की झूठी, खोखली वाहवाही से
परे रहना
आदरणीय जीतेन्द्र भाई बहुत ही सुन्दर रचना
बहुत सारी बधाइयां आपको इस के लिए
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति भाई जितेन्द्र जी,आपको हार्दिक बधाई!।
सुन..! मेरे मिट्टी के बर्तन,
तू अपनी असलियत को पहचान
इस संसार की झूठी, खोखली वाहवाही से
परे रहना
अपनी गहराई से ज्यादा, अनुपयोगी द्रव्य को
मत सहेजना, ढुल जाता है..........जितेंद्र जी, अपनी कविता के माध्यम से आपने अच्छा संदेश देने की कोशिश की है.बधाई.....लेकिन एक बात ध्यान रखियेगा जितना दोष बर्तन में पाया जाता है उससे कहीं ज्यादा दोष कुम्हार में होता है.
इक दिन निकल गया मैं
किसी के कहने पर
इक नयी मिट्टी का बर्तन बनाने
उस मिटटी में सौंधी खुसबु,
रंग मेरी मिट्टी की ही तरह, साँवला
हुबहू.... मेरे जैसी ही मिट्टी
पर शायद तनिक, कंकरियां मिली थीं.........इन पंक्तियों से कुम्हार की अपरिपक्वता जाहीर होती है. कभी सुन के कोई भी बुध्दिमान व्यक्ति कोई कार्य नहीं करता है
.
उससे न बना पाया,बर्तन
बनने से पहले ही
बिखर गया..टूट गया
मेरा मिट्टी का बर्तन...!........कुम्हार ब्रम्हा होता है बर्तन सृष्टि.
शुभकामनाएँ सहित
कुंती
छोटी छोटी पंक्तियों में सुंदर भाव के साथ अच्छी प्रस्तुति की बधाई जितेन्द्र भाई।
आदरणीय रमेश जी, आपका बहुत बहुत आभार, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा
सादर!
आदरणीय अरुण निगम जी, आपने अपना अमूल्य समय देकर रचना पर दृष्टी डाली, आपका बहुत बहुत आभार, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा
सादर!
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