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मुझे पागल बताया जा रहा है ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122      2122      2122       2122

 

ज़ख़्म सूखे हैं तो फिर क्यों दर्द फैला जा रहा है  

क्यों मुझे वो दिन पुराना याद आता जा रहा है

 

भीड़ मे रहना मुझे फिर बोझ सा लगने लगा क्यों   

और तनहा कोई कोना क्यों बुलाता जा रहा है

 

फिर वही झरने की कल कल, फिर वही ठंडी हवायें

फिर कोई पागल परिन्दा गीत गाता जा रहा है

 

कोई सपना फिर पुराना आँखों मे पलने लगा क्यों

अजनबी सा डर है तारी दिल धड़कता जा रहा है  

 

फिर से नामावर का रस्ता देखने का दिल किया क्यों

क्यों कबूतर ख़्वाब में फिर रोज़ आता जा रहा है 

 

फिर से बच्चे आज पत्थर क्यों जमा करने लगे अब

फिर मुहल्ले में मुझे पागल बताया जा रहा है

 

फिर से दुनिया की नज़र फिरने लगी मै देखता हूँ

ज़ेह्ने दुनिया क्या कोई साजिश रचाता जा रहा है

                     ********************

नामावर = पत्र वाहक

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 8:34pm

फिर से बच्चे आज पत्थर क्यों जमा करने लगे अब

फिर मुहल्ले में मुझे पागल बताया जा रहा है....... आहा.... बहुत खूब...... ह्रदयतल से बधाई इस खूबसूरत गज़ल के लिए आ0 गिरिराज जी...

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 9, 2013 at 6:31pm

अच्छी गज़ल की बधाई छोटे भाई । परिन्दे को पागल न कहो, प्रीतम या प्रेमी कहो । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 9, 2013 at 2:14pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी, !!!! हौसला अफज़ाई के लिये आपका अभारी हूँ !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 9, 2013 at 2:05pm

आदरणीय अरुण अनंत भाई , दिल से दी दाद दिल तक पहुँची !!!! हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 9, 2013 at 2:03pm

आदरणीय उमेश भाई , गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका आभार !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 9, 2013 at 2:02pm

आदरणीय शिज्जू भाई, आपने तो ऐसी सराहना की है कि मन अब हवा मे है !!!! फौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 9, 2013 at 1:59pm

आदरणीया उषा तनेजा जी , शे र के माध्यम से गज़ल की सराहना करने के लिये और उत्साह वर्धन करने के लिये आपका आभारी हूँ !!!!

Comment by annapurna bajpai on November 9, 2013 at 1:58pm

आ0 भण्डारी जी बेहद खूबसूरत गजल हुई है बहुत बधाई । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 9, 2013 at 1:57pm

आ0 डा. गोपाल नारायण भाई , गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका आभारी हूँ !!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 9, 2013 at 1:29pm

वाह वाह वाह आदरणीय गिरिराज सर जी वाह कमाल की ग़ज़ल हुई है बेहतरीन अशआरों से लबालब बेहद खूबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं. आनंद आ गया आदरणीय 

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