दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी
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2122 1212 22
काई ज़ज़्बात पर जमी होगी
दूरी ,क्या यूँ ही बन गयी होगी ?
पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है
आदमी है तो कुछ कमी होगी
जख़्म रिसते रहे हैं मेरे तो
कुछ निशानी भी बन गयी होगी
सच को सच आज कह सकें हम सब
कोई तो एक सरज़मी होगी
मैने खोजा बहुत नहीं पाया
छत पे सोचा था चाँदनी होगी
क़त्ल करती है माँ ही बच्चे को
सोचिये कैसी बेबसी होगी
जिसकी आवाज़ ने मिलाया है
दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी
आज तारीकी जितनी गहरी है
लगता है कल से रोशनी होगी
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( संशोधित )
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय वीनस भाई , गलतियाँ सामने लाने के लिये आपका आभारी हूँ , संशोधित कर फिर से पोस्ट कर देता हूँ । आपका शुक्रिया ॥
काई ज़ज़्बातों पर जमी होगी
रोज़ ही कुछ कहा सुनी होगी ..
आदरणीय जज़्बा का बहुवचन जज़्बात है .. अब ये जज्बातों क्या लफ्ज़ हुआ ? हैरानी है कि किसी ने नहीं टोका .... जम सुन के कारण ईता दोष भी है .. हालांकि आपकी कई ग़ज़लों में मैंने ईता दोष देखा है ... आप चाहें तो ईता दोष को न मानें ...बहुत लोग इसे नहीं मानते
कुछ निशानी सी बन गयी होगी ... निशान बनने को निशानी कहते हैं ,,, ज़बान के लिहाज से जुमला गलत है
ग़ज़ल को और समय दें तो निखर जाए ...
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी
पूरी ग़ज़ल बहुत सुन्दर हुई है..
इस एक शेर की भाव दशा पर तो ख़ास बधाई लीजिये
क़त्ल करती है माँ ही बच्चे को
सोचिये कैसी बेबसी होगी
आदरणीय अभिनव अरुण भाई , !!!!! गज़ल की सरहना और हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!
!!!!!!!स्नेह ऐसे ही बनाये रखे !!!!!!!
पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है आदमी है तो कुछ कमी होगी...क्या कहने श्री गिरिराज जी ...बहुत गहरी बातें समाई हैं हर शेर में . इस फलसफे इस अंदाज़ के सदके ! सौ सौ साधुवाद इस सार्थक संदेशपरक ग़ज़ल के लिए आदरणीय !
आदरणीय नीलेश भाई ,!!!!! हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!
पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है
आदमी है तो कुछ कमी होगी... वाह वाह वाह .. बधाई सर
आदरणीय केवल भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ
आ0 भण्डारी भाईजी खूबसूरत गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
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