1222 1222 1222 1222
धनक से रंग लाये हैं तुम्हें जी भर लगायें हम
***********************************
तमन्नाओं की कश्ती में तुझे ऐ दिल बिठायें हम
तेरी इन डूबती सांसों की उम्मीदें जगायें हम
बहुत ठोकर मिली दुनिया से ये सब जानते ही हैं
थका हारा बहुत लगता है आ तुझको सुलायें हम
नये सपने नये अरमान ले के देख आये हैं
भरोसा कर ले आँखें खोल तुमको भी दिखायें हम
बहुत बेरंग दुनिया थी तेरी अब तक चलो माना
धनक से रंग लाये हैं तुझे जी भर लगायें हम
सभी दिन कब हुये रोशन सभी रातें नही काली
तेरी तारीकियों में मिल सभी किरणें सजायें हम
तेरी मुस्कान की कलियाँ खिलेंगी फिर से गुलशन में
सुनहरी यादें ताज़ा कर तुझे आ गुदगुदायें हम
चलो दिल खोल के बोलें करें शिकवे भी आपस में
जलन दिल में लिये धीरे से काहे बुदबुदायें हम
******************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय वीनस भाई , बहुत बहुत शुक्रिया गज़ल पर आने के लिये , सशोधन के लिये आज ही डाल देता हूँ । ऐसे ही स्नेह बनाये रखें ।
खूबसूरत ग़ज़ल है ... ढेरो दाद
बहुत बेरंग दुनिया थी तेरी अब तक चलो माना
धनक से रंग लाये हैं तुम्हें जी भर लगायें हम ...... तेरी तुम्हें के कारण शुतुर्गुरबा दोष पैदा हो रहा है .. तुम्हें को तुझे कर लीजिये
आदरणीय अरुण भाई , आपको गज़ल पसन्द आई , मेरा प्रयास सफल हुआ !!!! उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!
आदरणीय सौरभ भाई , मै आपकी किसी भी सलाह का कभी बुरा नही मानता और न कभी मानूंगा , आप ये वाक्य लिखना कम से कम मेरे लिये छोड़ दें , मै हमेशा मरीज़ रहूंगा और आप हमेशा डाक्टर !!!! आपकी सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ !!!!
आदरनीय नीरज भाई हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!
आदरणीया प्राची जी , गज़ल की सराहना कर मेरा उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!! तुमको को तुझको करने की सलाह मुझे स्वीकार है , सलाह के लिये आपको हार्दिक धन्यवाद !!!!!
आदरणीय नीलेश भाई , आपकी सराहना निश्चित मेरा उत्साह वर्धन का कारण है !!!! आपक हार्दिक आभार !!!!!
आदरणीया गीतिका जी, उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!
आदरनीय सन्दीप भाई , गज़ल की तारीफ कर हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!
आदरनीय बड़े भी विजय जी , आपकी सराहना हमेशा मेरा उत्साह वर्धन करती है !!!! अपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online