!!! मनमोहन रूप सॅंवार रहे !!!
दुर्मिल सवैया- आठ सगण
मनमोहन रूप सॅंवार रहे, छवि देख रहे जमुना जल में।
सब ग्वाल कमाल धमाल करें, झट कूद पड़े जमुना जल में।।
अधरों पर ज्ञान भरी मुरली, रस धार बहे जमुना जल में।
गउ-ग्वालिन डूब गयीं रस में, तन तैर रहे जमुना जल में।।
के0पी0सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत बढ़िया आदरणीय केवल प्रसाद जी बधाई आपको
आ0 मीना जी , सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
आ0 अरून अनन्त भाईजी, सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
आ0 आशुतोष भाईजी, सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
आ0 सुशील भाईजी, सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
आ0 भण्डारी भाईजी, सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
आ0 गोपाल भार्इ जी, चन्द्र बिन्दी मान कर ही संवार लिखा है। सवैया पर आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
बहुत सुन्दर .. बधाई आप को | सादर
आदरणीय केवल भाई जी बहुत ही सुन्दर दुर्मिल सवैया रचा है आपने पढ़कर मन प्रसन्न हो गया वाह बहुत बहुत बधाई स्वीकारें
आदरणीय केवल जी ..कान्हा के रस में डूबती शानदार रचना ..गउ-ग्वालिन डूब गयीं रस में, तन तैर रहे जमुना जल में।..इन पंक्तियों ने मन मोह लिया सादर
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