For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- सारथी || तमन्ना जाग उठती है ||

तमन्ना जाग उठती है , तेरे कूचे में आने से

तेरे चिलमन हटाने से जरा सा मुस्कुराने से/१ 

अजब ही दौर था जालिम ग़ज़ल की नब्ज़ चलती थी

मेरी पलकें उठाने से तेरी पलकें झुकाने से/२ 

कहीं जाओ मगर अच्छे मकां मिलते कहाँ हैं अब

हमारे दिल में आ जाओ, ये बेहतर हर ठिकाने से/३ 

पतंगों सा गिरा कटकर तेरी छत पर अरे क़ातिल

कि बाहों उठाले तू किसी तरह बहाने से/४ 

हमारे नाम से साकी सभी को मय पिला देना

सितारे रतजगा के हैं थके हारे जमाने से/५ 

परेशां हो पशेमां हो यही पूछे जवाबी ख़त

लिखावट क्यूँ नहीं जाती तेरे ख़त को जलाने से/६ 

लुटा शुहरत गवां दौलत मजे में सारथी देखो

अमीरी है फ़कीरों सी घटेगा क्या लुटाने से/७ 

..........................................................

वज्न: १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ 

सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित

Views: 878

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Saarthi Baidyanath on November 17, 2013 at 8:06pm

आदरणीय  ram shiromani pathak जी , जनाब  वीनस केसरी साहब, जनाब  अरुन शर्मा 'अनन्त'  साहब और मान्यवर  Saurabh Pandey जी ...आप सब का ह्रदय से आभारी हूँ इस बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ! बहुत बहुत धन्यवाद ! स्नेह बनाये रखियेगा ...सादर !

जनाब केसरी साहब और मान्यवर सौरभ जी , आपकी बातें सर आँखों पर ! 
 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 17, 2013 at 1:45pm

ग़ज़ल अच्छी हुई है ..

वैसे वाक्यों में बिना विशेष संयोजक की दरकार के किसी वाक्य का प्रारम्भ कि से होना उचित नहीं लगता, अलबत्ता भरती का भी नहीं, बल्कि ज़बरदस्ती का लगता है. यों कई ग़ज़लकार ऐसा करते हैं लेकिन ऐसा कोई अनुकरण किस काम का ?  इस मंच पर कई बार इससे बचने की सलाह दी जा चुकी है.

शुभेच्छाएँ

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 1:05pm

आदरणीय सारथी भाई जी बहुत ही सुन्दर खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर पसंद आये खासकर इन दो अशआरों हेतु विशेषतौर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.

अजब ही दौर था ज़ालिम, ग़ज़ल की नब्ज़ चलती थी

तेरी पलकें उठाने से, तेरी पलकें झुकाने से/२ .. लाजवाब लाजवाब

लुटा शुहरत ,गवां दौलत, मजे में 'सारथी' देखो

अमीरी है फकीरों सी, घटेगा क्या लुटाने से/७ .. वाह भाई वाह

Comment by वीनस केसरी on November 17, 2013 at 3:26am

अच्छी ग़ज़ल कही है सारथी भाई
ढेरो मुबारकबाद

चौथे शेर को फिर से देख लीजिए
शाकी को साकी कर लीजिए

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 12:48am

वाह आदरणीय ज़ोरदार प्रस्तुति    /// हार्दिक बधाई  आपको///सादर  

Comment by Saarthi Baidyanath on November 16, 2013 at 8:28pm

आदरणीय  विजय मिश्र  जी और श्रीमान Dr Ashutosh Mishra जी ....बहुत बहुत धन्यवाद ! सादर नमन सहित :)

Comment by विजय मिश्र on November 16, 2013 at 5:41pm
बेहतरीन शायरी , बधाई हो .
Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 16, 2013 at 3:37pm

कहीं जाओ मगर अच्छे मकां, मिलते कहाँ हैं अब

हमारे दिल में आ जाओ, ये बेहतर हर ठिकाने से/३ ...क्या बात है .पूरी ग़ज़ल ही मन को भा गयी ..कमाल के शेर..आपको हार्दिक बधाई 

Comment by Saarthi Baidyanath on November 15, 2013 at 10:14pm

डॉक्टर  अनुराग सैनी साहब ....आपका स्नेह बहुमूल्य है हमारे लिए ! साथ बने रहिएगा ..बहुत बहुत शुक्रिया इस हौसला-अफजाई के लिए ...:)

Comment by Saarthi Baidyanath on November 15, 2013 at 10:13pm

मान्यवर  गिरिराज भंडारी जी ...बहुत मेहरबानी आपकी ! नाचीज , खुद को सम्मानित महसूस कर रहा है इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए ...कोटिशः आभार सहित :)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service