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भोले मन की भोली पतियाँ

भोले मन की भोली  पतियाँ

लिख लिख बीतीं हाये रतियाँ

अनदेखे उस प्रेम पृष्ठ को

लगता है तुम नहीं पढ़ोगे

सच लगता है!

बिन सोयीं हैं जितनीं रातें

बिन बोलीं उतनी ही बातें

अगर सुनाऊँ तो लगता है

तुम मेरा परिहास करोगे

सच लगता है!

रहा विरह का समय सुलगता

पात हिया का रहा झुलसता

तन के तुम अति कोमल हो प्रिय

नहीं वेदना सह पाओगे

सच लगता है!

संशोधित

मौलिक व अप्रकाशित

९॰११॰२००० - पुरानी डायरी से

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Comments are closed for this blog post

Comment by वेदिका on December 3, 2013 at 12:13am

आपका बहुत बहुत आभार आ० लक्ष्मण जी! प्रिय राम भैया!

Comment by वेदिका on December 3, 2013 at 12:12am

आ० कुंती दी! आभार व्यक्त करती हूँ, आपने रचना को आशीर्वाद दिया| मेरे लिए बहुत संतोषप्रद है| पूर्व लिखी रचना को संशोधित किया है| आपको कमी लगती है तो और भी समय देके इसे और अच्छा बनाऊँगी|

सादर!!   

Comment by ram shiromani pathak on December 3, 2013 at 12:06am

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीया गितिका जी  … सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 2, 2013 at 7:07pm

भोले मन से लिखी अंतर्मन की बात | बधाई आद्रेया गीतिका वेदिका जी -

बतिया ले तो ठीक रहेगा 

राह विरह का नहीं सुलगेगा 

कोमल मन भी हल्का होगा |

लगता है, ठीक रहेगा 

Comment by coontee mukerji on December 2, 2013 at 4:41pm

कोमल मन की कोमल अभिव्यक्ति. बहुत सुंदर.तब अनुभव कम होगी फिर से इसमें रंग भरने की ज़रूरत है ,निखर आयगी.बात मानो.

शुभेच्छु

कुंती

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 2:18pm

आपका पुनश्च आभार आ० कल्पना दी!

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 2:11pm

आ0 राजेश जी! आपके स्टेटमेंट ने अजीब सी खुशी दी है! आभार आपका !!

Comment by Meena Pathak on December 2, 2013 at 2:10pm

रचना के शिल्प के बारे मे ज्यादा नही जानती प्रिय गीत पर ये नवगीत पढ़ कर मन बहुत आन्दित हुआ | बहुत बहुत सुन्दर रचना | हृदय से ढेरों बधाई और शुभकामनाएँ 

Comment by कल्पना रामानी on December 2, 2013 at 1:24pm

ये हुई न बात!  अब तो बेहतरीन गीत बन गया। अति सुंदर! बहुत बहुत बधाई आपको। मैं जानती थी कि आपके लिए यह बहुत आसान है।

Comment by राजेश 'मृदु' on December 2, 2013 at 12:16pm

जय हो आदरेया, आपकी हर बार जय हो । बहुत खूबसूरत रचना है ।  कोई व्‍यक्ति तो संगीत का जानकार हो उनसे गाने के लिए कहें, फिर देखें इस रचना का शबाब, आप स्‍वयं चकित हो जायेंगी, सादर

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