आखेटक !!
क्या तुम्हें आभास है ?
कि तुम जिजीविषा मे
किसी का आखेट कर
जीवन यापन की मृगया मे
भटकते हुये मदहोश हो !
आखेटक !
क्या तुम्हें आभास है ?
आखेटक को संजीवनी नहीं मिलती
मन की तृष्णा की खातिर
अनन्य मार्गदर्शी का भी
विसस्मरण कर दिया है
सृजनमाला को विस्फारित नेत्रों से
देखते हुए मदमस्त हो !
आखेटक !!
क्या भूल गए हो ?
आखेट करने को आया तीर
एक दिन तुम्हें भी बेध जाएगा
तब !!...... समक्ष राम न होंगे
सागर से उबरने को कर्म न होंगे
सुनो आखेटक !!! .........................
प्रस्तुति: अन्नपूर्णा बाजपेई
अप्रकाशित एवं मौलिक
Comment
आपकी कोशिशों के लिए हार्दिक बधाइयाँ आदरणीया अन्नपूर्णाजी. रचना की अंतिम पंक्तियाँ धारदार बन पड़ी हैं.
तुम! मृगमरीचिका की
जिजीविषा मे
किसी का आखेट कर
जीवन यापन की मृगया मे
भटकते हुये मदहोश हो !
उपरोक्त पंक्तियाँ अलबत्ता शब्दों से धनी हैं लेकिन कई शब्द सायास प्रयुक्त हुए हैं अतः रचना के मूल अर्थों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं. देख लीजियेगा.
शुभेच्छाएँ.
आदरणीया अन्नपूर्णा जी , सुंदर संदेशप्रद रचना पर बधाई स्वीकारें
आदरणीया अन्नपूर्णा जी , !!!!! सुन्दर सदेश देती आपकी उम्दा रचना के लिये आपको दिली बधाई !!!!
बहुत ही सुन्दर सार्थक सुन्दर सन्देश देती हुई रचना हार्दिक बधाई आदरणीया.
आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई आपको। …… सादर
प्रिय गीतिका आपका शब्द सही है मेंने ही गलत लिख दिया है । आपका आभार मेरा मार्ग दर्शन करने के लिए ।
रचना का कथ्य शानदार हुआ है|
//एक दिन तुम्हें भी बेन्ध जाएगा// बेन्ध या बेध? मार्गदर्शन की अपेक्षा है!!
रचना पर बधाई स्वीकारिए आ0 अन्नपूर्णा दी!
शानदार प्रस्तुति के लिए तहे दिल बधाई स्वीकारें आदर्नीय अनुपमा जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online