बरामदे की सीढ़ियाँ देख , कजरी नीचे खड़ी हो गई , संकोच वश उसके कदम ऊपर बढ़ ही नहीं रहे थे ॥ लाली ने उसको पुकारा -'आओ ना , वहाँ क्यों खड़ी हो ? कजरी सकुचाते हुये बोली -' का है कि हम छोट जात है न , और हंम लोगन का बड़े लोगन के घर की चौखट के भीतर नहीं जाना होत है अइसा हमारी माई कहे रही !!' लाली ने उसका हाथ पकड़ा और ऊपर खींच लिया , ' चलो भी !! ' अंदर पहुँच कर बड़ी सी हवेली देख कजरी की अंखे चौंधिया गई । ' लागे है बहुत बड़े लोग हैं ' मन मे सोचा उसने । धीरे धीरे अंदर बढ़ती गई एक कमरे का किवाड़ थोड़ा खुला…
ContinueAdded by annapurna bajpai on September 6, 2014 at 6:30pm — 11 Comments
आज पंद्रह अगस्त है, देश की स्वतंत्रता की याद दिलाने वाला एक राष्ट्रीय पर्व । एक ऐसा दिवस, जब स्कूल-कालेजों में मिठाई बंटती है, जिसका इंतजार बच्चों को रहता है – बच्चे जो अपने प्रधानाध्यापकों की उपदेशात्मक बातों के अर्थ और महत्त्व को शायद ही समझ पाते हों । एक ऐसा दिवस, जब सरकारी कार्यालयों-संस्थानों में शीर्षस्थ अधिकारी द्वारा अधीनस्थ मुलाजिमों को देश के प्रति उनके कर्तव्यों की याद दिलाई जाती है, गोया कि वे इतने नादान और नासमझ हों कि याद न दिलाने पर उचित आचरण और…
ContinueAdded by annapurna bajpai on August 14, 2014 at 1:30pm — 7 Comments
वह वृद्ध !!
कड़कती चिलचिलाती धूप मे
पानी की बूंद को तरसता
प्यास से विकल होंठो पर
बार बार जीभ फेरता
कदम दर कदम
बोझ सा जीवन, घसीटता
सर पर बंधे गमछे से
शरीर के स्वेद को
सुखाने की कोशिश भर करता
अड़ियल स्वेद
बार बार मुंह चिढ़ाता
थक कर चूर हुआ
वह वृद्ध !!
कुछ छांव ढूँढता
आ बैठा किसी घर के दरवाजे पर
गृह स्वामी का कर्कश स्वर –
हट ! ए बुड्ढे !!
दरवाजे पर क्यों…
ContinueAdded by annapurna bajpai on June 12, 2014 at 7:22pm — 18 Comments
[1]
पूजनीय हैं माँ-पिता, सदा करो सम्मान ।
जीवन दाता है यही, खुदा यही भगवान ॥
खुदा यही भगवान, धर्म निज खूब निभाते ।
संतानों को पाल - पोस कर नेह लुटाते ॥
मन से दो तुम मान सदा ये बंदनीय है ।
करें अहेतुक प्यार हमारे पूजनीय हैं ॥
[2]
माया छलना मोहती , धारे रूप अनेक ।
केवल माला फेरता, कैसे हो तू नेक ॥
कैसे हो तू नेक, फंसाए तुझको माया ।
जाल बिछा हर ओर उलझती जाती काया ॥
मानो …
ContinueAdded by annapurna bajpai on June 2, 2014 at 11:30pm — 14 Comments
ऐसे नेता को क्या कहिए
जो पीटे हिन्दू मुस्लिम राग
सांप्रदायिकता का बिगुल
बजा कर लगाये देश मे आग
ऐसे नेता .......
जिनका कोई ईमान नहीं
धर्म से कोई प्रेम नहीं
राष्ट्र प्रेम का ढोंग दिखाएँ
बेबस जनता को लूटें खाएं
ऐसे नेता .......
गिरगिट से होते नेता
पल मे रंग बदलते नेता
पल मे तोला पल मे माशा
खूब दिखाते रोज तमाशा
ऐसे नेता .......
हाथ जोड़ ये दौड़े आते
झोली…
ContinueAdded by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 1:30pm — 18 Comments
[1]
रूप मनभावन है मंद मंद मुस्कराये
नन्हें नन्हें पाँव लिए दौड़ी चली आती है
बार बार सहलाती अपने कपोल वह
छोटी छोटी गोल गोल आँखें मटकाती है
अम्मा पहना के जब पायल संवारती हैं
दौड़ती तो झनक झनक झंझनाती है
कायल है दादा दादी नाना नानी सभी अब
ठुमक ठुमक कर खूब इतराती है ॥
[2]
दादी अम्मा भोजन कराएं तो सताती वह
आगे आगे भागे पीछे अम्मा को छकाती है
कापी छीन लेती लेखनी वो तोड़ देती भाई
को है वो…
ContinueAdded by annapurna bajpai on April 21, 2014 at 8:30pm — 14 Comments
फागुन बीता देखिये ,खिली चैत की धूप
सर्दी की मस्ती गई, झुलस रहा है रूप
झुलस रहा है रूप ,सुहाती है वैशाखी
धरती तपती खूब ,करे क्या मनुवा पाखी
होते सब बीमार ,बढ़ी मच्छर की भुन भुन ।
आगे जेठ अषाढ़ , कहाँ अब भीगा फागुन ॥..
अप्रकाशित एवं मौलिक
Added by annapurna bajpai on April 15, 2014 at 9:20pm — 8 Comments
नन्ही गुड़िया चंचला ,खेले दौड़े खूब ।
नन्हे नन्हे पाँव हैं ,मनभावन है रूप ॥
मनभावन है रूप , तोतली बातें करती ।
बात बात मुस्कात ,सभी के मन को हरती॥
करे सभी से प्यार ,हमारी प्यारी मुन्नी ।
सभी लड़ाते लाड़, मोहिनी गुड़िया नन्ही ।।
अप्रकाशित एवं मौलिक
Added by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 12:00pm — 14 Comments
रमीला ने बगल मे बैठी अपनी पड़ोसन से कहा , "तुम्हें पता है खन्ना साहब के बेटे के साथ अल्का की बेटी का चक्कर चल रहा है और तो और कई बार वह रातों को भी घर नहीं आती , मैडम कहती है कि लेट नाइट स्टडीज़ के चलते वह हास्टल मे ही रुक जाती है , बेटी ने कालेज मे ही हास्टल ले रखा है । अरे यहाँ तो किसी को ये जानने की भी फुर्सत नहीं है कि बेटी कहाँ जाती है । "
रमीला ने आगे कहा," और आज जिस खुशी मे पूजा रखवाई है बेटे की नौकरी के लिए , वह पता है मेरे पति ने सिफ़ारिश करके लगवाई है वरना इनका बेटा तो…
ContinueAdded by annapurna bajpai on April 3, 2014 at 6:30pm — 22 Comments
उत्तुंग शृंखलाओ को
चीर कर
रफ्ता रफ्ता
उतरती चली आती है
सदा ही अवनत
मचलती लहराती वो
करती धरा का आलिंगन
सहर्ष ..... वलयित हो
मुसकाती
बढ़ती जाती निरंतर
सागर की बाँहों मे
समा जाने को विकल
अद्भुत निरखता सौम्य रूप
कुछ उच्छृंखल
राह के अवरोध समेट
तरण तारिणी
सागर से मिलन की
मधुर बेला मे
पूर्ण समर्पण लखता
अहा ! क्या ही अद्भुत
विहंगम दृश्य.......
धारा का जलध…
ContinueAdded by annapurna bajpai on March 23, 2014 at 12:00am — 15 Comments
(1)
गोरा गोरा निर्मल तन है
उसके बिन सब सूनापन है
न पाये तो जाएँ बच्चे रूठ
क्या सखि साजन ? ना सखी दूध !!
(2)
हर दम उसको शीश सजाऊँ
पाकर उसको खिल खिल जाऊँ
अधूरी उस बिन रहूँ न दूर
क्या सखि साजन ? न सखि सिंदूर !!
(3)
कोमल कोमल तन है प्यारा
मन भावे लागे अति न्यारा
छुप जाये जो डालूँ अचरा
क्या सखि साजन ? न सखि गजरा !!
(4)
रूप सलोना…
ContinueAdded by annapurna bajpai on March 12, 2014 at 12:00pm — 6 Comments
मूक नहीं है वो लिखते जाना ही उसकी जात है ,
तम की स्याही से वो लिखती नित्य नव प्रभात है ।
उजियारा फैलाने को रोज नया सूरज वो लाती है ,
जो मूक हो जीते है उनकी जुबान वो बन जाती है ।
पढ़ लिख कर सम्मान की अलख वो जगाती है ,
झूठे हो चाहे जितने पर सच्चाई की धार लगाती है ।
अज्ञानता के घोर तमस को समूल उखाड़ भगाती है,
होती जिसके हाथ कलम ज्ञान भंडार लगाती है॰
पैनी कितनी भी हो तलवारें पर भीत नहीं ये खाती…
ContinueAdded by annapurna bajpai on March 3, 2014 at 10:30pm — 11 Comments
चाँदी के रथ पे सवार लिए जीवन नवल
चिर प्रीतम संग चंद्रिका आयी धवल ..............
प्रिय सखी निशा संग
भरती किलकारियाँ
गगन से धरा तक
करती अठखेलियाँ
रूप किशोरी सी चंद्रिका आयी धवल .........
शशि प्रियतम संग
चमचम सितारों वाली
श्याम चुनरिया ओढ़े
धीरे धीरे दबे पाँव
प्रिय सुंदरी सी चंद्रिका आयी धवल ................
दुग्ध अभिसिंचित हये
सभी तरुवर तड़ाग
मुसकुराती…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 26, 2014 at 4:30pm — 9 Comments
प्रथम प्रयास
(1)
रखती उसको हिये लगाये
सबके मन पर वो छा जाये
उसकी सूरत दिल मे उतरी
क्या सखि साजन ? न सखि मुंदरी
(2)
उसके नाम से ही डरूँ मै
होती शाम छिपती फिरूँ मै
आए जब चैन न पाऊँ क्षन भर
क्या सखि साजन ? ना सखि मच्छर
(3)
बालक बूढ़े सबको भाये
बिना उसके चैन नहि पाये
सुंदर सूरत सुनहरी चाम
क्या सखि साजन ? ना सखी…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 24, 2014 at 2:30pm — 16 Comments
( 1 )
दो पुष्प खिले
हर्षित हृदय
लीं बलैयां
( 2 )
धीरे धीरे
बढ़ चले राह
पकड़ी बचपन डगर
( 3 )
मार्ग दुर्गम
वे थामे अंगुली
आशित जीवन
( 4 )
हुये बड़े
बीता बचपन
डाले गलबहियाँ
( 5 )
संस्कार भरे
करते मान सम्मान
न कभी अपमान
( 6 )
जीवन बदला
खुशियाँ…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 21, 2014 at 9:15pm — 5 Comments
यक्ष प्रश्न
सास बहू के बिगड़ते सम्बन्धों पर बहुत ही प्रभावशाली जोशपूर्ण भाषण देने के बाद अब राधा देवी मीडिया वालों के सवालों के उत्तर दे रही थी.
"मैडम ! लोग बेटी और बहू में अंतर क्यों करते हैं?"
"यह लोगों की नादानी ही नहीं बल्कि घोर पाप है। जो लड़की अपना मायका छोड़ कर ससुराल घर आई हो उसको तो सोने मे तौल कर रखना चाहिए।"
"लेकिन मैडम, हम ने सुना है कि आपकी अपनी बहू से नहीं बनती और आपने उसे घर से निकाल दिया है और बेटे को भी नहीं मिलने देती है ।…
Added by annapurna bajpai on February 18, 2014 at 2:00pm — 15 Comments
दोहे
1) नारी है सुता ,दारा धारे रूप अनेक ।
बंधन बांधे नेह का धीरज धर्म विवेक ॥
2) ये नारी है सृजक नहि अबला कमजोर ।
रोम रोम ममता भरी सह पीड़ा घनघोर ॥
3) महल दुमहले बन रहे वसुधा हरी न शेष ।
जीव जन्तु भटके सभी ऐसे महल विशेष ॥
4) माया माया कर रहा बढ़े चौगुना मोह ।
पानी पत्थर पूजि के रहा मुक्ति को टोह॥
5) सन्मार्ग दो प्रभु दिखा, दो ऐसा वरदान ।
सब मिल शुचिता…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 18, 2014 at 1:00pm — 15 Comments
आँगन की नीम कहे
कुछ पात ही अब शेष रहे
प्रिय बसंत तुम आना
नव मधुमास ले आना
निज कर तुम सजाना
प्रीतम की राह तके
आँगन की ..................
पत्तों पर से ओस हटी
मण्डल मे छायी धुंध हटी
अंतस मे कोंपल सजी
नवजीवन ही आस रहे
आँगन की नीम ...................
शरद शिशिर सब है गए
सज धज ऋतुराज है आए
आहट पा नीम लहराये
चिर बसंत ही शेष रहे
आँगन की…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 5, 2014 at 8:30pm — 8 Comments
श्रवण कुमार
“आप बड़ी खुशकिस्मत हो भाभी जो आपको इतना हीरे जैसा बेटा दिया भगवान ने । आपकी हर बात मानता है आपका कितना सम्मान करता है, कोई बुरी लत नहीं , कोई गलत रास्ता नहीं, वरना आजकल की औलादें तो बस पूछो ही मत ।“ एक ठंडी सी आह भर कर कामिनी देवी ने अपनी भाभी से कहा । “ हाँ कामिनी तू सच कह रही है, आज कल कहाँ बच्चे बूढ़े माँ बाप की चिंता करते है सच मै बड़ी भाग्यशाली हूँ जो हीरे जैसा बेटा है मेरा , एकदम श्रवण कुमार। “ शीला जी ने अपनी ननद की बात का समर्थन किया ।
आज शीला जी का शव आँगन के…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 1, 2014 at 12:00am — 13 Comments
1) बंधन बांधो नेह का पुनि पुनि जतन लगाय ।
चुन चुन मीत बनाइये खोटे जन बिलगाय ॥
2) प्रेम कुटुम्ब समाइए सागर नदी समाय ।
ज्यों पंछी आकाश मे स्वतंत्र उड़ता जाय ॥
3) धोखा झूठ फरेब औ फैला भ्रष्टाचार ।
फैली शासनहीनता है पसरा व्यभिचार ॥
संशोधित
अप्रकाशित एवं मौलिक
Added by annapurna bajpai on January 30, 2014 at 1:30pm — 11 Comments
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