यक्ष प्रश्न
सास बहू के बिगड़ते सम्बन्धों पर बहुत ही प्रभावशाली जोशपूर्ण भाषण देने के बाद अब राधा देवी मीडिया वालों के सवालों के उत्तर दे रही थी.
"मैडम ! लोग बेटी और बहू में अंतर क्यों करते हैं?"
"यह लोगों की नादानी ही नहीं बल्कि घोर पाप है। जो लड़की अपना मायका छोड़ कर ससुराल घर आई हो उसको तो सोने मे तौल कर रखना चाहिए।"
"लेकिन मैडम, हम ने सुना है कि आपकी अपनी बहू से नहीं बनती और आपने उसे घर से निकाल दिया है और बेटे को भी नहीं मिलने देती है । "
"नो मोर क्वेश्चन्स प्लीज़।"
अप्रकाशित एवं मौलिक
Comment
अच्छा प्रयास हुआ है. वैसे, जाने क्यों लग रहा है कथा की नाटकीयता कुछ और झटकों की मांग कर रही थी. फिर भी एक अच्छी लघुकथा की कोशिश हुई है.
शुभेच्छाएँ
आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार ।
आ0 शुभ्रांशु पांडे जी आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय बृजेश जी आपको लघु कथा पसंद आई , आपका आभार ।
बहुत सुन्दर लघु कथा आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी
मंचीय भाषणों में बड़ी बड़ी बातें कह जाने वाले व्यक्ति जब अपने कथ्यों की कसौटी पर तौले जाते हैं... तो निरुत्तर ही हो जाते हैं
बहुत बहुत बधाई इस सुगढ़ प्रस्तुति पर.
आदरणीय अन्न्पूर्णा जी,
सवालों के घेरे में आने के बाद जबाब देना मुश्किल हो जाता है, यही सवाल अगर दूसरों के बदले स्वयं से पूछ लेती तो शायद प्रश्नों के चक्कर में नहीं आ पातीं
सादर.
अच्छी लघुकथा! आपको हार्दिक बधाई!
आदरणीय विजय निकोर जी एवं आ0 आशुतोष जी आपका हार्दिक आभार ।
लाजबाब ..बिलकुल ऐसा ही होता है ..जब अपनी हकीकत सामने आती है तो ..कमाल की लघु कथा ..सादर बधाई के साथ
समाज में कब से ऐसा ही हो रहा है, और इस क्षेत्र में सुधार बहुत ही धीरे हो रहा है।
इस अच्छी लघु कथा के लिए आपको हार्दिक बधाई, आदरणीया अन्नपूर्णा जी।
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