[1]
रूप मनभावन है मंद मंद मुस्कराये
नन्हें नन्हें पाँव लिए दौड़ी चली आती है
बार बार सहलाती अपने कपोल वह
छोटी छोटी गोल गोल आँखें मटकाती है
अम्मा पहना के जब पायल संवारती हैं
दौड़ती तो झनक झनक झंझनाती है
कायल है दादा दादी नाना नानी सभी अब
ठुमक ठुमक कर खूब इतराती है ॥
[2]
दादी अम्मा भोजन कराएं तो सताती वह
आगे आगे भागे पीछे अम्मा को छकाती है
कापी छीन लेती लेखनी वो तोड़ देती भाई
को है वो सताती और पापा को पकाती है
दीदी को तो अपनी सहेली मान बतियाती
ठुमक ठुमक दिन रात वो नचाती है
आंचल पकड़ माँ को खूब दुलराती नित्य
रच के कहानियाँ नई नई सुनाती है ॥
अन्नपूर्णा बाजपेई
अप्रकाशित मौलिक
Comment
गेयता पर मैं क्या कहूँ, आपके प्रयास पर साधुवाद कह रहा हूँ.
सतत रहें आदरणीया.. .
मधुर-मधुर सुन्दर घनाक्षरी आ० अन्नपूर्णा जी
हार्दिक बधाई
आदरणीय अन्नपूरणा जी , सुन्दर छंद रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई !!
वाह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बहुत सुन्दर
आदरणीया अन्नपूर्णा जी सादर, सुन्दर मनभावन घनाक्षरी रची हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.
कापी छीन लेती लेखनी वो तोड़ देती भाई,...."को है वो सताती और पापा को पकाती है...... ठीक नहीं लग रहा है गाकर देख लें.
आदरणीया अन्नपूर्णा जी
बहुत सुंदर लिखा है आपने ..पढ़ कर बहुत अच्छा लगा
इस विधा के बारे मे अंजान हूँ.. पर आपके कौशल का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं मेरे लिए.
बहुत मुबारक हो
ओह्ह माफ़ कीजियेगा आदरणीया गिनती वर्ण की ही की न जाने कैसे मात्रा लिख गया यही होता है जब ऑफिस में काम के साथ साथ रचनाओं पर टिपण्णी होती है. पुनः क्षमाप्रार्थी हूँ
आ0 जितेंद्र जी , आ0 नीरज 'नीर' जी रचना pasand करने के लिए आपका हार्दिक आभार ।
प्रिय अरुण घनक्षरी पसंद करने के लिए हार्दिक आभार । एक बात स्पष्ट करना चहुंगी वो ये कि घनाक्षरी वार्णिक छंद है , मात्रिक नहीं और घनाक्षरी मे आधा अक्षर नहीं गिना जाता । इस लिहाज से दूसरी पंक्ति मे 15 वर्ण है । आप गिने पुनः ।
आदरणीया अन्नपूर्णा जी सर्वप्रथम छंद पर प्रयास करने हेतु हृदयतल से हार्दिक बधाई स्वीकारें. आपने घनाक्षरी पर बहुत ही श्रम किया है प्रथम छंद तो बहुत ही सुन्दर बन पड़ा है द्वतीय छंद में प्रवाह बाधित लग रहा है एवं द्वतीय पंक्ति में एक मात्रा अधिक है जाँच लें, बहरहाल इस सुन्दर प्रयास पर बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.
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