ऐसे नेता को क्या कहिए
जो पीटे हिन्दू मुस्लिम राग
सांप्रदायिकता का बिगुल
बजा कर लगाये देश मे आग
ऐसे नेता .......
जिनका कोई ईमान नहीं
धर्म से कोई प्रेम नहीं
राष्ट्र प्रेम का ढोंग दिखाएँ
बेबस जनता को लूटें खाएं
ऐसे नेता .......
गिरगिट से होते नेता
पल मे रंग बदलते नेता
पल मे तोला पल मे माशा
खूब दिखाते रोज तमाशा
ऐसे नेता .......
हाथ जोड़ ये दौड़े आते
झोली फैला वोट मांगते
नंगे पाँव सड़क पर चलते
जनता के भोलेपन को छलते
ऐसे नेता .......
संसद हो या सड़क खूब मचाएँ शोर
फडकाएं बाजू और दिखलाएं ज़ोर
देते मूँछों पर रह रह ताव
जनता की हरदम डुबोए नाव
ऐसे नेता .......
कटते जाएँ सीस पर सीस
ये बेगैरत काढ़ें खीस
हुआ धमाका खुल गई पोल
बज रही थी कारनामो की ढ़ोल
ऐसे नेता .......
जीत जब ये पाएँ कहीं
फिर पहचान पाएँ नहीं
दर दर भटके बेबस जनता
पर अब इसका काम न बनता
ऐसे नेता .......
इनका चलता ए सी फुल
जनता की रहती बिजली गुल
सफ़ेद पोश ये करते लक दक
सुख सुविधाओं पर इनका हक
ऐसे नेता .......
रंगे सियार ये कहायेँ
निस दिन गंगा मे नहाएँ
यहाँ वहाँ करके रैली
मानस गंगा करते मैली
ऐसे नेता .......
नेता लाओ ऐसा अब चंगा
किसी लहू से जो ना रंगा
भ्रष्टाचारी को कर दे नंगा
जो ना भड़काए देश मे दंगा
ऐसे नेता .......
अप्रकाशित एवं मौलिक
Comment
इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया अन्नपूर्णा जी
आ0 केवल भाई जी आपको रचना पसंद आई , आपका आभार ।
आ0 नीरज ' नीर' जी आपका आभार
aआ0 कुंती दीदी , मै बहुत अच्छा नहीं लिखती , प्रयास करती हूँ कि रचनाएँ अच्छी सच मे होने लगें । आप सबके स्नेह एवं आशीष के साथ मै एक दिन कामयाब रहूँगी ।
आ0 गिरिराज जी , आपको रचना अच्छी लगी आपका आभार ।
बहुत सुन्दर रचना। हार्दिक बधाई स्वीकार करेंं। सादर,
सार्थक सन्देश देती रचना ..
आपने क्या खूब व्यंग्य लिखा है.अन्नपूर्णा जी आप हर विधा में अच्छा लिखती है. आपको बहुत बहुत बधाई.
आदरणीया सामयिक व्यंग्य रचना के लिये आप्को बहुत बधाई ॥
आ0 जितेंद्र जी एवं मुकेश जी आपको रचना पसंद आई । आपका आभार
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