वो हिरनी सी चंचल आंखे
कभी मुसकुराती हुई
खामोश है अब ......
एक ज्वार भाटा आकर
बहा ले गया है सब ...
वो रिक्त आंखे
अब नहीं देखती
कोई सपना मधुर
क्योंकि उनसे छीना है
किसी ने हक़
स्वप्न देखने का ।
वे अब नहीं ताकती
किसी की राह
क्योंकि वे खामोश है
शायद पत्थर हो गई है........
किसी ने छीना है
उनसे जीने की खुशी
उनकी मुस्कुराहट
उनकी चंचलता
किसी व्याघ्र के
मुंह मे मेमेने के जैसी
वो सहमी सी रहती है
वो मुसकुराती चंचल आँखें ......
अप्रकाशित एवं मौलिक
यथा संशोधित
Comment
आदरणीय बृजेश जी एवं आदरणीय सौरभ जी मुझे आप दोनों की टिप्पणी से मार्ग दर्शन मिला , मै ध्यान रखूंगी । आप विदु लोगों का स्नेह मुझे इसी प्रकार टिप्पणी रूप मे मिलता रहे । सादर ।
आदरणीय गिरिराज जी , कुंती दीदी , लक्ष्मण जी , जितेंद्र जी ,महिमा जी , नादिर खान जी आप सभी को रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार ।
मैं भाई बृजेश जी के कहे को बार-बार अनुमोदन करना चाहूँगा.
उन्होंने लाख टके (रुपये) की बात कही है.
सादर
सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी ।
एक प्रताड़ित स्त्री की अंतर व्यथा को अच्छी अभिवयक्ति दी है आपने .. हार्दिक बधाई आ. अन्नपूर्णा जी ..सादर
सच! जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते है, दे जाते है केवल सूनापन, इस गहरी प्रभावशाली रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीया अन्नपूर्णा जी
आदरणीया अन्नपूर्णा जी ,
रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ
रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ
आदरणीया अन्नपूर्णा जी , सुन्दर भाव पूएण रचना के लिये आपको बधाई ॥
आदरणीया अन्नपूर्णा जी आप रचना लिखकर संतुष्ट हो जाती हैं और उसे प्रकाशित कर देती हैं! हर रचना कुछ समय चाहती है, उसकी सदा इच्छा होती है कि रचनाकार उसे थोड़ा लाड़-दुलार दे! रचना से उसका हक न छीना करें!
इस अभिव्यक्ति के लिए आपको हार्दिक बधाई!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online