For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गरल (लघुकथा) अन्नपूर्णा बाजपेई

रमीला ने बगल मे बैठी अपनी पड़ोसन से कहा , "तुम्हें पता है खन्ना साहब के बेटे के साथ अल्का की बेटी का चक्कर चल रहा है और तो और कई बार वह रातों को भी घर नहीं आती , मैडम कहती है कि लेट नाइट स्टडीज़ के चलते वह हास्टल मे ही रुक जाती है , बेटी ने कालेज मे ही हास्टल ले रखा है । अरे यहाँ तो किसी को ये जानने की भी फुर्सत नहीं है कि बेटी कहाँ जाती है । " 

रमीला ने आगे कहा," और आज जिस खुशी मे पूजा रखवाई है बेटे की नौकरी के लिए , वह पता है मेरे पति ने सिफ़ारिश करके लगवाई है वरना इनका बेटा तो आपने देखा ही है हमेशा घूमता रहता है और पढ़ा लिखा भी कोई खास नहीं है बस किसी तरह ले दे कर पास करवाया है भाई साहब ने , ये बड़ा दम भरती  फिरती है मेरे बच्चे हीरे है, यकीन न हो तो मिसेज शर्मा से पूछ  लीजिये । क्यों मिसेज शर्मा ! बताइये मै सही कह रही हूँ न । मेरे बच्चे देखिये क्या मजाल है जो मेरी आँख का इशारा न समझें । मै तो मार ही डालूँ । " उसकी पड़ोसन बदले मे मुस्कुरा दी । 

थोड़ी देर बाद रमीला का आवारा टाइप बेटा मुंह मे पान  दबाये घर की चाभी मांगने आया -  " माँ चाभी मुझे दो घर की !! तुम यहाँ बैठी भजन कीर्तन करो । "

उन्होने कुछ कहना चाहा इससे पहले वह बोला ," देती हो या जाऊँ मै अपने दोस्त के घर कल; आऊँगा । बार बार फोन करके डिस्टर्ब  मत करना प्लीज़ । " 

आगे पंडित जी भगवान सत्य नारायण की कथा सुना रहे थे , " एक राजा मोरध्वज हुआ जिसकी इच्छा  से उनके पुत्र ने अपना आधा अंग आरे  से चिरवा कर प्रभु को प्रसन्न किया । " 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 922

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 1:21pm

प्रिय गीतिका , बहुत बहुत आभार । 

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 1:19pm

आ0 भण्डारी जी आपने सही कहा सभी मे कुछ न कुछ कमियाँ होती है । परंतु व्यक्ति अपने दोष तो देखता नहीं वरन दूसरों के फटे मे टांग जरूर अड़ाता है । आपका स्नेह मिला आपका आभार 

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 1:17pm

आ0 माहेश्वरी कनेरी जी सर्व प्रथम आपको मेरा प्रणाम , आपको अपनी पोस्ट पर पा कर मुझे बेहद खुशी हुई आपका तहे दिल से आभार 

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 1:15pm

आ0 वैद्य नाथ जी आपका हार्दिक आभार 

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 1:14pm

आ0 विजय निकोर जी आपका हार्दिक आभार 

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 1:13pm

आ0 प्राची जी आपके द्वारा लघु कथा को समय दिया गया मेरा लिखना सार्थक हुआ , अक्सर जब सत्य नारायण की कथा होती है तो हम देखते है कि कुछ महिलाएं ऐसी भी आ जाती है जो इस तरह के प्रपञ्च करती है उन्हे किसी की भावनाओं से लेश मात्र भी सरोकार नहीं होता , चाहे इसके लिए किसी की अनावश्यक बुराई करनी पड़े । कुछ इसी तरह का चित्रण मैंने अपनी कथा मे करने की कोशिश की है । मै अवश्य चहुंगी कि विशेषज्ञों की राय मुझे मिले और मेरी कथा मे और निखार आए ।

आप सभी का सहयोग यूं ही मिलता रहे यही अभिलाषा है । सप्रेम  

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 1:06pm

आ0 कुंती दीदी अपने कथा को पसंद किया मै कृतज्ञ हूँ । 

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 1:05pm

आ0 मीना दी आपका हार्दिक आभार 

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 1:01pm

आदरणीय कुशवाहा जी आपका हार्दिक आभार 

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 1:00pm

प्रिय वंदना आपको कथा पसंद आई , हार्दिक आभार आपका 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service