नन्ही गुड़िया चंचला ,खेले दौड़े खूब ।
नन्हे नन्हे पाँव हैं ,मनभावन है रूप ॥
मनभावन है रूप , तोतली बातें करती ।
बात बात मुस्कात ,सभी के मन को हरती॥
करे सभी से प्यार ,हमारी प्यारी मुन्नी ।
सभी लड़ाते लाड़, मोहिनी गुड़िया नन्ही ।।
अप्रकाशित एवं मौलिक
Comment
आदरणीया अन्नपूर्णा जी
नन्ही मुन्नी गुड़िया का हँसना खिलखिलाना और सबका मन मोह लेना बहुत सुन्दर लगा
पर शिल्प में काफी कमियाँ रह गयी हैं
1.खूब और रूप की / मुन्नी और नन्ही की तुकांतता कैसे ?
2. बात बात मुस्कात ......................इसमें आपने मुस्कात शब्द जिस तरह से ले लिया वो सारा लालित्य ख़त्म कर रहा है rअचना का ....इस के स्थान पर "मधुर मधुर मुस्कान" सभी के मन के हरती लिया जाता तो क्या ही सुन्दर होता !
आपके इस प्रयास पर मेरी शुभकामनाएं
सस्नेह
बधाई
आदरणीया अन्नपूर्णा दी सुंदर भाव रचना के लिए बहुत बधाई । सादर
आ. अन्नपूर्णा जी , सुन्दर कुंडलिया रचना की है आपने !! बस तुकांतता को ज़रा देख लीजियेगा !!
आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत बहुत बधाई बहुत प्यारी कुण्डलिया है
आदरणीय अन्नपूर्णा जी, नन्ही और प्यारी सी रचना पर हार्दिक बधाई आपको !
आदरणीया राजेश कुमारी जी , आपका अत्यंत आभार , आपके परामर्श अनुसार मै अभी परिवर्तन कर देती हूँ । ये सही है धूप से स्पष्ट नहीं हो रहा है , किन्तु यहाँ शब्द ' खूब' था टाइपिंग मिस्टेक के कारण गड़बड़ हुआ है मै ठीक करती हूँ । आभार आपका
आपकी इस सुंदर प्रस्तुति पर सादर बधाई.................. |
सुन्दर कुंडलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी | आ. राजेश जी की सलाह उचित है |
नहीं फ़िक्र, हो धूप" भी किया जा सकता है |
आ० अन्नापूर्ण जी बहुत सुन्दर प्रयास है कुण्डलिया पर एक विनम्र परामर्श ---दोहे के सम चरण को ऐसा लिखें तो कैसा रहे --उजली जैसे धूप या सुन्दर जैसे धूप,चमके जैसे धूप ... या कुछ और ---खेले दौड़े धूप से वाक्य स्पष्ट नहीं हो रहा
और रोले में करे जतन से प्यार को करे सभी से प्यार लिखें तो सही होगा
बाकि शिल्प में कोई कमी नहीं है बहुत शानदार भाव बहुत मासूम ..बधाई आपको
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