सावन के बादल
काले काले ,
वर्षा वाले !
क्षुधित मानव की प्यास
बुझाने वाले ,
अपना बूँद बूँद दे कर भी
ज्यों दिख रहे ,
अब
शांत , सुखी ,
संतुष्ट, संतृप्त !!
सब कुछ दे कर
पहले से और अधिक
समृद्ध !!!
जिनको दिया
उनकी
हरियाली से आनन्दित !!!!
बस !
उन्ही की खुशियों से
सम्बन्धित !!!!
ऐसा होता है ,
एक पिता , जब होता है
वृद्ध !!!!!!!
********************
!!!! ऐसे हर एक पिता को
सादर नमन के साथ !!!!
********************
गिरिराज भंडारी
भिलाई
******
मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )
Comment
आपके प्रयास और आपकी संलग्नता से मन प्रसन्न हो जाता है,आदरणीय.
बहुत कुछ पहले ही कह दिया गया है. रचना की गंभीरता को मान देते हुए प्रदत्त सुझावों के बरअक्स पढ रहा हूँ.
बधाई
सादर
आदरणीय बड़े भाई विजय जी , आपकी सराहाना मेरा हौसला हमेशा दोबारा करतीं हैं !!!! आपका हार्दिक आभार !!!!!
आदरणीय जितेन्द्र भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!
बहुत गूढ़, गंभीर चिन्तन से भरपूर रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय गिरिराज भाई।
सादर,
विजय निकोर
शांत , सुखी , तृप्त ,
संतुष्ट, संतृप्त !!
सब कुछ दे कर
पहले से और अधिक
समृद्ध !!!
जिनको दिया
उनकी
हरियाली से आनन्दित !!!!
बस !
शब्द भाव पूर्णत: शांत, गहराई सागर की तरह, कोई आतुरता नहीं केवल गंभीरता,सच! एक पिता के समान रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय गिरिराज जी
आदरणीय आशुतोष भाई , सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!
आदरणीय राम भाई , सराहना के लिये आपका आभारी हूँ !!!
आदरणीया प्राची जी , रचना की सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ !!!! विस्तार से गलतियाँ बताने और सुधार सुझाने के लिये आपका आभारी हूँ , मै जरूर सन्शोधन कर लूंगा !!!! आपका पुनः आभार !!!!
आदरनीय गिरिराज भाईसाब ..आपकी इस रचना पर आपको हार्दिक बधाई के साथ .....सादर
सुंदर कविता आदरणीय गिरिराज जी ! हार्दिक बधाई
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