2122 2122 2122 212
.
आपकी पिछली कही मन में प्रवाहित है अभी
इसलिये तो प्रेमधारा मेरी बाधित है अभी
.
अब सदा बहती ही रहती है उपेक्षा आँखों से
मै कहाँ हूँ आपके मन में ये साबित है अभी
.
है बड़ी उलटी समस्या रीतता अब प्रेम पर
गाँव-नगरों में हमारा प्रेम चर्चित है अभी
.
सारा विष जो आपने अब तक इकठ्ठा था किया
आपकी बातों में वो सारा समाहित है अभी
.
हाँ, सलोनी धूप मे है छांव किसकी, है पता
और शासक कौन है, क्यों सोच शासित है अभी
.
मित्र मेरे, अब सहारा है मुझे चुप्पी का बस
भागते इस भूत की लंगोट इच्छित है अभी
******************************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )
Comment
वाह वा आदरणीय आपकी इस ग़ज़ल ने तो दिल खुश कर दिया
जिंदाबाद जिंदाबाद
आदरणीय संजय भाई , उत्साह वर्धक सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥
संजय भाई आपक पुनः शुक्रिया , है , का क्रम मै अभी सुधार ले ता हूँ ॥
आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपक हार्दिक आभार ॥
आदरणीया वन्दना जी , गज़ल की सराहना के लिये और उत्साह वर्धन के लिये आपका शुक्रिया ॥
बहुत सुन्दर ग़ज़ल... वाह!!
अंतिम शेर... सानी में "है" का क्रम बिगड़ गया है... देख लीजियेगा...
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी... सादर बधाई स्वीकारें इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए....
नये कवाफ़ी के साथ आपने अच्छा प्रयोग किया है गिरिराज जी। बधाई स्वीकारें इस प्रयास के लिए
है बड़ी उलटी समस्या रीतता अब प्रेम पर
गाँव-नगरों में हमारा प्रेम चर्चित है अभी
बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय
आदरणीय सौरभ भाई , उत्साह वर्धन करती आपकी प्रतिक्रिया के लिये आपका आभारी हूँ !!!! मै प्रयत्न शील रहूंगा आपका विश्वास न टूटे इसके लिये !!!!! पुनः आभार !!!!
आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी इस ग़ज़ल ने अब स्वयं आपके लिए एक मानक बनाया है. आपका ढंग निखर के आया है. एक ऐसी कोशिश जिसे मैं बार-बार होते देखना चाहूँगा, आदरणीय.
हृदय से बधाई स्वीकारें.
शुभ-शुभ
आदरणीय बैद्य नाथ भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online