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!!!! काले काले वर्षा वाले !!!! अतुकांत !!!!

सावन के बादल

काले काले ,

वर्षा वाले !

क्षुधित मानव की प्यास

बुझाने वाले ,

अपना बूँद बूँद दे कर भी

ज्यों दिख रहे ,

अब

शांत , सुखी , 

संतुष्ट, संतृप्त !!

सब कुछ दे कर

पहले से और अधिक

समृद्ध  !!!

जिनको दिया

उनकी

हरियाली से आनन्दित !!!!

बस !

उन्ही की खुशियों से

सम्बन्धित !!!!

ऐसा होता है ,

एक पिता , जब होता है

वृद्ध !!!!!!!

********************

!!!! ऐसे हर एक पिता को

सादर नमन के साथ  !!!!

********************

गिरिराज भंडारी

भिलाई

******

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

Views: 739

Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 4, 2013 at 8:47pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 

एक पिता का साया क्या होता है..उसे बादल की उपमा दे कर ..सब कुछ निसार कर देना के भाव और बच्चों को आनंदित फलते फूलते देख (हरियाली ) के बिम्ब बहुत दृढ़ता से अर्थवान हुए हैं.

इस सुन्दर भाव प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई.

अब किछ शिल्प पर *******

सावन के बादल

काले काले ,

वर्षा वाले !

क्षुधित मानव की प्यास

बुझाने वाले ,................................यहाँ तक बादल को बहुवचन संज्ञा की तरह लिया आपने 

और अचानक ही अगली पंक्तियों में एकवचन संज्ञा कर दिया.. ऐसा क्यों ?

अपना बूँद बूँद दे कर भी

ज्यूँ दिख रहा , ...............................................अपनी बूँद बूँद दे कर भी / ज्यों दिख रहे / 

अब

शांत , सुखी ,  तृप्त ,

संतुष्ट, संतृप्त !!.........................................तृप्त और संतृप्त तो एक ही भाव हैं और शब्द का अर्थ भी बस अलग तीव्रता के साथ एक ही है , फिर इसे दो बार क्यों लिया गया है...यदि सिर्फ संतृप्त लिखा जाता तो?

सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2013 at 6:42pm

आदरणीय अरुण अनंत भाई , रचना की तीन तीन सुन्दर दे कर सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 4, 2013 at 5:21pm

सुन्दर सुन्दर सुन्दर आदरणीय क्या खूब लिखा है आपने मजा आ गया पढ़कर हार्दिक बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2013 at 5:19pm

आदरणीय आशीष भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभार !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2013 at 5:19pm

आदरणीय गणेश बागी भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभार !!!! आपने सही कहा , नीचे की दो लाइन के बगैर भी रचना पूर्ण है , दर असल ये दो लाइन मै उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिये लिखा , उसे रचना खत्म करके , लाइन के नीचे लिखना था !!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2013 at 5:11pm

आदरणीय श्याम भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2013 at 5:10pm

आदरणीय शिज्जू भाई ,!!!! सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2013 at 5:09pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल भाई , रचना की सराहना और उत्साह वर्धन के ल्लिये आपका आभारी हूँ !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2013 at 5:07pm

आदरणीया गीतिका जी , रचना सराहना के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on December 4, 2013 at 4:11pm

सुंदर कविता आदरणीय गिरिराज जी !

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