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फिर मिलेगा हमें वो मान भी क्या(ग़ज़ल)

2122 -1212- 112

कट ही जाये अगर ज़बान भी क्या

फिर मिलेगा हमें वो मान भी क्या

 

आदमीयत के मोल जो मिली हो

दोस्तो ऐसी कोई शान भी क्या

 

मेरे पैरों में आज पंख लगे

अब ज़मीं क्या ये आसमान भी क्या

 

छोड दें गर ज़मीन अपने लिये

ऐसे सपनों की फिर उड़ान भी क्या

 

और के काम आ सके न कभी

ऐसा इंसान का है ज्ञान भी क्या

 

भाग के गर मुसीबतों से कहीं

बच ही जाये तो ऐसी जान भी क्या

 

एक चिंगारी से लगी थी आग

अब बचेगा मेरा मकान भी क्या

 

-मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 16, 2013 at 8:11pm

आदरणीय श्याम नारायण सर आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 16, 2013 at 8:10pm

आदरणीय डॉ आशुतोष सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 16, 2013 at 8:09pm

आदरणीया राजेश दीदी आपका आभार
ए2क1 चिं2गा2/री1 से2 ल1गी2/ थी2 आ2 +ग1
सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 16, 2013 at 6:19pm

आदरणीय शिज्जू भाई , बेहतरीन गज़ल कही है , सभी शे र अच्छे लगे ! आपको दिली बधाइयाँ ॥

मेरे पैरों में आज पंख लगे

अब ज़मीं क्या ये आसमान भी क्या

भाग के गर मुसीबतों से कहीं

बच ही जाये तो ऐसी जान भी क्या --------- विषेश शे र के लिये विषेश बधाई !!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 16, 2013 at 5:38pm

मित्र शिज्जू जी

अच्छी ग़ज़ल पर मुबारकवाद  पेश करता हूँ i

Comment by coontee mukerji on December 16, 2013 at 5:18pm

बहुत सुंदर गजल. हार्दिक बधाई.

Comment by Meena Pathak on December 16, 2013 at 4:35pm

बहुत सुन्दर गज़ल | बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय शिज्जू जी | सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on December 16, 2013 at 4:00pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 16, 2013 at 1:40pm

आदरणीय शिज्जू जी ...बेहतरीन ग़ज़ल ...पाठकों के समक्ष प्रश्न रखती हुई शानदार ग़ज़ल ..इस शानदार ग़ज़ल पर मेरी तरफ से तहे दिल बधाई ...सादर बधाई के साथ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 16, 2013 at 1:33pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है शिज्जू जी 

मेरे पैरों में आज पंख लगे

अब ज़मीं क्या ये आसमान भी क्या-----क्या बात है बहुत शानदार 

 

और के काम आ सके न कभी

ऐसा इंसान का है ज्ञान भी क्या-----जबरदस्त भाव 

सभी शेर पसंद आये बहुत बहुत बधाई आपको ...अंतिम शेर के उला में संशय हो रहा है 

 

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