मै जीना चाहती हूँ माँ !!
कैसे जियेगी तू मेरी बच्ची ?
समय के साथ ये सब
श्रद्धांजलि और प्रदर्शनों
के आडम्बर शांत हो जायेंगे
सब कुछ भूल, लग जायेंगे
सभी अपने अपने काम में
पर तेरा जीवन नही बदलेगा !!
जो बच गई
जीवन तेरा और भी नर्क हो जाएगा
तू जब भी निकलेगी घर से
तेरी तरफ उठेंगी सौकड़ों आँखे
तू भूलना भी चाहेगी तो
दिखा – दिखा उंगुली
लोग तुझे भूलने नही देंगे
जानना चाहेंगे सभी ये कि
कैसे हुआ ये ?
जीवन भर तू उन दरिंदों
का लिजलिजा स्पर्श
अपने शरीर पर बिलबिलाते हुए
कीड़ों की तरह महसूसेगी
खुद ही खुद से घिन करेगी
प्रश्न करती आँखों का
सामना कब तक करेगी ?
ये हमारा समाज
तुझे जीने नही देगा
कौन अपनाएगा तुझे ?
बोल मेरी बच्ची !
तुझे इस हाल में
मै ना देख पाऊँगी !!
सारा जीवन तिल-तिल कर
मरने से अच्छा
तू अभी मर जा मेरी बच्ची
तू अभी मर जा !!
मीना पाठक
मौलिक अप्रकाशित
Comment
आदरणीया मीना जी ... बहुत -२ हार्दिक बधाई इस मार्मिक रचना के लिए .. हर पंक्ति पर रोगंटे खड़े हो गए ... कितनी विवशता , उफ़ कितनी लाचारी है ....
आदरणीय गिरिराज जी, प्रणाम
बहुत बहुत आभार, रचना को आप का आशीर्वाद मिला, लिखना सफल हुआ | सादर
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सच कहा आप ने, सहमत हूँ
बहुत बहुत आभार | सादर
प्रिय वंदना ढेरों आशीष के साथ बहुत बहुत आभार
आदरणीय सौरभ जी ... सादर प्रणाम
हृदय से आभार स्वीकार कीजिये रचना को अपने स्नेह और आशीष से सिंचित करने के लिए, लिखना सार्थक हुआ मेरा | सादर
आदरणीया कल्पना दी, आप ने सच कहा कि कोई माँ ऐसा नही कहती पर उस दिन मैंने जो 'उसकी' दशा का वर्णन सुना टीवी पर तो मेरा हृदय कराह उठा था और उस समय आहत हृदय और नयन भर आँसू लिए कलम पकड़ लिया था मैंने और ये रचना खुद-ब-खुद बन गई थी | पूरे एक वर्ष बाद मैंने ये रचना पोस्ट की वो भी बहुत संकोच के साथ क्यों कि मुझे डर था कि ये रचना आप सब सिरे से नकार ना दें पर इस रचना के जरिये जो स्नेह मुझे मिला है उसके लिए मै हृदय से आप सब की आभारी हूं | सादर
परम आदरणीय विजय निकोर जी रचना को अपने स्नेह से सिंचित करने हेतु सादर आभार स्वीकारें !!
आदरणीया महेश्वरी जी बहुत आभार | सादर
आदरणीय संजय हबीब जी सादर आभार स्वीकारें !
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