ओ. बी. ओ. परिवार के सम्मानित सदस्यों को सहर्ष सूचित किया जाता है की इस ब्लॉग के जरिये बह्र को सीखने समझने का नव प्रयास किया जा रहा है| इस ब्लॉग के अंतर्गत सप्ताह के प्रत्येक रविवार को प्रातः 08 बजे एक गीत के बोल अथवा गज़ल दी जायेगी, उपलब्ध हुआ तो वीडियो भी लगाया जायेगा
आपको उस गीत अथवा गज़ल की बह्र को पहचानना है और कमेन्ट करना है अगर हो सके तो और जानकारी भी देनी है, यदि उसी बहर पर कोई दूसरा गीत/ग़ज़ल मिले तो वह भी बता सकते है। पाठक एक दुसरे के कमेन्ट से प्रभावित न हो सकें इसलिए ब्लॉग के कमेन्ट बॉक्स को मंगलवार रात 10 बजे तक माडरेशन में रख जायेगा। आपको इस अवधि के पहले पहले बह्र पहचाननी है फिर मंगलवार को रात 10 बजे कमेन्ट बॉक्स को खोल दिया जायेगा और गीत अथवा गज़ल की बह्र, बह्र का नाम और रुक्न प्रकाशित किया जायेगा और फिर शनिवार रात तक के लिए मंच चर्चा के लिए खुला रहेगा
आशा करते हैं की इस स्तंभ से लोगों को बह्र को सीखने समझने में पर्याप्त सहायता मिलेगी।
आप सबसे सहयोग की अपेक्षा है|
इस स्तंभ की शुरुआत गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर होने से अच्छा कुछ हो ही नहीं सकता है
खास इसलिए इस बार का गीत रविवार को न पोस्ट करके आज पोस्ट किया जा रहा है
केवल इस बार कमेन्ट पर माडरेशन शुक्रवार की रात को खोला जाएगा | तब तक आप बह्र पहचानिये और शनिवार की रात तक चर्चा के लिए पोस्ट खुली रहेगी
आगे से नियमानुसार पोस्ट की जायेगी
तो प्रस्तुत है आज का गीत
आज का गीत है साल १९७१ को प्रदर्शित हुई फीचर फिल्म "आप आये बहार आई" से
मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता,
अगर तूफां नहीं आता, किनारा मिल गया होता |
न था मंज़ूर किस्मत को न थी मर्जी बहारों की
नहीं तो इस गुलिस्तां में कमी थी क्या नजारों की
मेरी नज़रों कोई भी कोई नज़ारा मिल गया होता
अगर तूफां नहीं आता किनारा मिल गया होता
खुशी से अपनी आखों को मैं अश्कों से भिगो लेता
मेरे बदले तू हंस लेती तेरे बदले मैं रो लेता
मुझे ऐ काश तेरा दर्द सारा मिल गया होता
अगर तूफां नहीं आता किनारा मिल गया होता
- राणा प्रताप सिंह
- वीनस केशरी
Comment
Behar :HAZAZ
1222 1222 1222 1222
1.Chalo ik baar fir se ajnabi ban jaayen hum dono...
2.ujaaly apni yaadon ke hamaare saath rahne do
na jaane kis galimen zindagiki shaam aajaye
दिये गये गीत के मुखडे की तकतई करने का प्रयास किया हूँ , उम्मीद है सही ही होगा ......
मुझे तेरी / मुहब्बत का / सहारा मिल / गया होता,
१ २ २२ / १ २ २ २ / १ २ २ २ / १ २ २ २
अगर तूफां / नहीं आता / किनारा मिल / गया होता,
१ २ २ २ / १ २ २ २ / १ २ २ २ / १ २ २ २
इसी बहर पर एक जावेद अख्तर साहब की लिखी हुई मसाल फिल्म का खुबसूरत गीत है जिसे स्वर दिया है स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने और संगीत से सजाया है ह्रदय नाथ मंगेशकर ने जिसका मुखड़ा है ........
मुझे तुम याद करना और मुझको याद आना तुम,
मगर तुम लौट के आओगे ये मत भूल जाना तुम,
मुरक्कब बह्र - मफाईलुन् (1222) की आवृत्ति से बह्र-ए-हजज मुसम्मन् सालिम
इस पर इसलिये कमेन्ट कर रहा हूं कि इसके मतले में तूफ़ां को शयद ग़लती से तूफ़ान लिख दिया गया है
जो कुछ लोगों को कन्फ़्यूसकर सकता है।क्रिपया सुधार लें।
( बहरे-हज़ज़), एक और गीत इस बहर में " बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है"।
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