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ग़ज़ल - मुझे बेजान सा पुतला बनाना चाहता है

१२२२   १२२२     १२२२    १२२

मुझे बेजान सा पुतला बनाना चाहता है

किसी शोकेस में रखकर सजाना चाहता है

 

मेरे जज्बात सब उसको खिलौने जान पड़ते

जिन्हें वो खुद की चाभी से चलाना चाहता है

 

कुतर डाले मेरे जब हौंसलों के पंख उसने

बुलंदी आसमां की अब दिखाना चाहता है

 

मेरे किरदार में सख्ती नहीं उसको गंवारा

बिना हड्डी का कर मुझको पचाना चाहता है

 

दिवारें चार मेरी हो गईं हैं कब्रगाहें

मुझे जिन्दा ही वो मुर्दा बनाना चाहता है

.

संजू शब्दिता  मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Madan Mohan saxena on July 10, 2014 at 4:29pm

कुतर डाले मेरे जब हौंसलों के पंख उसने
बुलंदी आसमां की अब दिखाना चाहता है

अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

Comment by vijay nikore on January 24, 2014 at 7:23am

मेरे जज्बात सब उसको खिलौने जान पड़ते

जिन्हें वो खुद की चाभी से चलाना चाहता है

 

कुतर डाले मेरे जब हौंसलों के पंख उसने

बुलंदी आसमां की अब दिखाना चाहता है

 

अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

सादर,

विजय निकोर

Comment by वीनस केसरी on January 20, 2014 at 3:17am

मुझे बेजान सा पुतला बनाना चाहता है

किसी शोकेस में रखकर सजाना चाहता है

 

मेरे जज्बात सब उसको खिलौने जान पड़ते

जिन्हें वो खुद की चाभी से चलाना चाहता है

बहुत खूब ... अच्छे अशार हुए हैं ...ढेरो दाद

पचाना, मुर्दा जैसे शब्द को ग़ज़ल में प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि कहीं वो शेर को तगज्जुल से बाहर न ले कर चला जाए

Comment by sanju shabdita on January 15, 2014 at 8:09pm

आदरणीय सौरभ सर आपकी टिप्पणियाँ मुझे सदैव से ही एक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती रही हैं, जिसके लिए मैं आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करती हूँ . प्रस्तुत ग़ज़ल पर आपने इतना बड़ा भरोसा जताया, मैं अभिभूत हूँ . लिखती तो मैं पहले भी थी पर इस मंच ने मुझे एक दिशा प्रदान की जिसके लिए मैं इस मंच की भी सदा आभारी रहूंगी.   

Comment by sanju shabdita on January 15, 2014 at 7:50pm

आदरणीया राम शिरोमणि जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by sanju shabdita on January 15, 2014 at 7:49pm

आदरणीया सारिका जी ग़ज़ल आपको पसंद आई आपकी आभारी हूँ

Comment by sanju shabdita on January 15, 2014 at 7:48pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया

Comment by sanju shabdita on January 15, 2014 at 7:48pm

आदरणीय अनुराग जी आपका हार्दिक आभार

Comment by sanju shabdita on January 15, 2014 at 7:47pm

 आदरणीया महिमा जी मेरी आवाज आप तक पंहुची लिखना सार्थक हुआ,ग़ज़ल अनुमोदन हेतु आपका हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 15, 2014 at 12:42am

ये आपसे एक ऐसी ग़ज़ल हुई है जो आपकी शैली की ट्रेण्ड सेटर बन सकती है.

हार्दिक शुभकामनाएँ

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