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मेरे किरदार पे वो शक जताता है
बिना ही बात वो तेवर दिखाता है
नहीं जो जानता रिश्तों के मतलब भी
मुझे वो प्यार की पट्टी पढ़ाता है
बता तो दूँ उसे औकात उसकी पर
मेरा ये दिल उसे अपना बताता है
*निवाले फेंककर दो वक़्त के मुझ पर
मेरे सम्मान की धज्जी उड़ाता है
मुझे वो मारता है हर घड़ी हर पल
मगर तफ़तीश में जिंदा बताता है
*सशोधित
संजू शाब्दिता मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीया संजू जी,खूबसूरत गज़ल क्या कहने बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीय बागी जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया
यथा सशोधित
आदरणीय एडमिन जी आपसे निवेदन है कि प्रस्तुत ग़ज़ल के निम्न शेर में सुधार कर दें ,आपकी महती कृपा होगी।
निवाले फेंककर दो वक़्त की मुझ पर
मेरे सम्मान की धज्जी उड़ाता है
के स्थान पर
निवाले फेंककर दो वक़्त के मुझ पर
मेरे सम्मान की धज्जी उड़ाता है
आदरणीय सौरभ जी आपका मेरी ग़ज़ल पर आना हुआ मैं आभारी हूँ ,प्रस्तुत ग़ज़ल पर आपके द्वारा सकारात्मक अनुमोदन पाकर मुझे अत्यधिक संबल मिला है,मेरा मनोबल बढ़ाने हेतु मैं आपकी हृदय -तल से आभारी हूँ,आपने मेरी रचना-धर्मिता को समझा और सराहा ,मैं अभिभूत हूँ ,आगे भी आपके महत्वपूर्ण मार्गदर्शन की अपेक्षा रहेगी ;
'"एक बात:
निवाला को लेकर आपको सुझाव भी मिल चुके हैं. आपने टिप्पणियों के उत्तर तो दिये लेकिन शेर में आवश्यक सुधार नहीं करवाया. मैं नहीं समझता कोई खासा वज़ह होगी. इस उम्दा शेर को दुरुस्त करवा लें.'"
इस सम्बन्ध में भी मुझे आपके आने का इंतज़ार था,अब सारे भ्रम दूर,सुधार अवश्य ही कर लूँगी ।
सादर आभार
संजूजी, इस दफ़े आपकी ग़ज़ल कई मायनों में एक अलग सी ग़ज़ल है. यदि आपके ये तेवर आनेवाले समय के लेखन की नुमाइश हैं तो अच्छी बात है और आप एकदम सही राह पर हैं. इस मंच के लिए भी यह एक सुखद बात होगी.
मतले से लेकर आखिरी शेर तक आपने सामाजिक विसंगतियों को व्यक्तिपरक कलेवर दे कर पेश किया है. यह लेखक के तौर पर बढ़ रहे आपके विश्वास का परिचायक है.
बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें, संजूजी.
एक बात:
निवाला को लेकर आपको सुझाव भी मिल चुके हैं. आपने टिप्पणियों के उत्तर तो दिये लेकिन शेर में आवश्यक सुधार नहीं करवाया. मैं नहीं समझता कोई खासा वज़ह होगी.
इस उम्दा शेर को दुरुस्त करवा लें.
निवाले फेंककर दो वक़्त की मुझ पर
मेरे सम्मान की धज्जी उड़ाता है
में नारी व्यथा का अच्छा प्रस्तुतीकरण किया है . सादुवाद .
सुन्दर ग़ज़ल है
ढेरो दाद
बहुत सुन्दर लिखा है आपने आदरणीया लेकिन , निवाले पुल्लिंग होने के चलते
निवाले फेंककर दो वक़्त की मुझ पर
मेरे सम्मान की धज्जी उड़ाता है // इस शेर में आप देख लें---- कि निवाले फेंककर दो वक्त //के// मुझपे ॥ मेरे सम्मान की धज्जी उड़ाता है।
क्या बात क्या बात क्या बात .... बहुत ख़ूब ग़ज़ल ...बधाई
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