हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ,
विद्या का तू उपहार दे माँ,
जीवन पथ पर बढ़ती जाऊँ,
अपनों का विश्वास बनूँ माँ,
अंधियारे को दूर भगा दूँ,
ऐसी तेरी दास बनूँ माँ,
तेरी महिमा जग में गाउँ ,
अधरों को तू उदगार दे माँ,
हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ,
विद्या का तू उपहार दे माँ,
मधु का स्वाद लिए है ज्यो अब,
विष का भी मैं पान करूँ माँ,
फूलों पर जैसे चलती हूँ,
शूलों को भी पार करूँ माँ,
तूफानों में राह बना लूँ,
ज्ञान का तू भण्डार दे माँ ,
हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ,
विद्या का तू उपहार दे माँ..
(Anita Maurya )
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
माँ शारदे की वंदना , बहुत सुंदर, अनीता जी
बहुत सुंदर माँ शारदे की वंदना , आ0 अनीता जी बधाई आपको ।
Aap sab ka bahut bahut aabhar..
आदरणीया अनिता जी , सुन्दर प्रस्तुति के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥
आदरणीया अनिता जी , सुन्दर प्रार्थना के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥
सुंदर प्रस्तुतिकरण....हार्दिक बधाई. अनीता जी.
मधु का स्वाद लिए है ज्यो अब,
विष का भी मैं पान करूँ माँ,
फूलों पर जैसे चलती हूँ,
शूलों को भी पार करूँ माँ,
तूफानों में राह बना लूँ,
ज्ञान का तू भण्डार दे माँ ,
हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ,
विद्या का तू उपहार दे माँ.. ...............माँ शारदे की कृपा बनी रहे प्रिय अनीता .. कलम यूँ ही चलती रहे ,, बहुत बहुत बधाई | सस्नेह
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